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________________ ( ५) सं० १४०१ वैशाष : श्री आदित्य नाग गोत्रे सघ. कुलियास्मजा सा० काम पुत्रेण स - - पुत्र श्रेयसे श्री शांति विवं कारितं प्रति श्री कक्क सूरिभिः । (730) ___ सं० १५०१ वर्षे माघ यदि ६ बुधे उपकेश ज्ञाती आविणाग गोत्र सा० कालू पु० वील्ला भार्या देवा आत्म श्रेयसे श्री श्रेयांस विवं कारितं श्री उकेश गच्छे ककुदाचार्य संताने प्रतिष्ठितं श्री कुकुम सूरिभिः । । ( 731 ) __ सं० १५०४ वैशाख सु.७ दिने श्री उकेश वंशे सा० डोडा पुत्र सा नाय ---- सहितन स्वपुण्यार्थं श्री पार्श्व जिन विवं का प्र. श्री खरतरगच्छे श्रोजिन भद्र सूरिभिः । ( 732 ) सं० १५०६ वर्षे कार्तिक सु० १३ गुरौ उपकेश वंशे वहरा गोत्र सा०--- पुत्र हरिपाल भार्या राजलदे पुत्र सा. धरमा आर्या धनाई पुत्र सा० सहजाकेन स्वपित पुण्यार्य श्री वासुपूज्य विवं कारितं । श्री खरतर गच्छे श्री जिनराज सूरि प श्री जिन भद्र सूरि युगे प्रधान गुरुभिः प्रतिष्ठितः। ( 733 ) __ सं० १५०० वर्षे -- उपकेश वंशे बहरा गोत्र सा० - - - श्री सुमतिनाथ विवं कारिता श्री खरतर गच्छे श्री जिनराज सूरि पह श्री जिन अद्र सूरिभिः प्रां ष्ठितं ।
SR No.009678
Book TitleJain Lekh Sangraha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPuranchand Nahar
PublisherPuranchand Nahar
Publication Year
Total Pages341
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size98 MB
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