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________________ ( १७४ ) गच्छे महारक श्री यशोदेव सूरिजो विजयमाने श्री महावीर चैत्ये श्री संघेन चतुष्किका कारिता श्री नाकोड़ा पार्श्वनाथ प्रसादात् शुभं भवतु । उपाध्याय श्री कनक शेखर शिष्य पं० सुमति शेखरेण लिखित श्री छाजाड़ दीव सेखाजी संघेन कारापिता सूत्र धारः ऊजल भातु मामा घडिता भवन कचरा--। छत्रीमें। (727) ॥ * ॥ श्रीमत् श्री जिन भद्र सूरि भुत्याणां बुजाप्तोदया। धन्याचार्यपदावदातवदिताः श्री कीर्तिरत्नाह्वया ॥ नम्रा नम्र सरोज रस्मणि विना प्रोच्छासितां हिद्वया। राजा नन्द करा जयंतु विलसत् श्री शंखबालान्वया ॥ - - - - - - बालोतरा। श्री शीतलनाथजी का मंदिर धातु मूर्तियों पर। . (728 ) सं० १२३४ ज्येष्ठ सुदि ११ सा० जणदेव आर्या जेउत पुत्र वीरा देवेन भात वाहड़ वीरदे श्रेयार्थमकारि प्र. देव सूरिभिः ।
SR No.009678
Book TitleJain Lekh Sangraha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPuranchand Nahar
PublisherPuranchand Nahar
Publication Year
Total Pages341
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size98 MB
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