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________________ ( १५४ ) सेठ नरसीनाथाका मन्दिर । (653) सं० १५३० वर्षे वैशाख शुदि १० सोमे श्री गंधारबास्तव्य श्री श्री माल ज्ञातीय व्य० साहसा भ० वाल्ही ठ० सालिग भा० आसी ठ० श्रीराज भा० हंसाई । व्य. सहिसा सुत धनदत्त भा० हर्पाई पत्तै सात्म श्रेयोर्थं आदिनाथ विंवं कारितं प्रतिष्ठितं श्री वृहत्तपा पक्ष श्री विजयरत्न सूरिभिः ॥ श्री ॥ ( 654 ) सं० १९२१ वर्षे माघ सुदि ७ गुरौ श्रीमदंचलगच्छे पूज भट्टारक श्री रत्न सागर सूरी श्वराणां सदुपदेशात् श्री कच्छदेशे श्रो नलितपुर वास्तव्य । ओश वंशे लघुशाखायां नागडा गोत्रे सेठ होरजी नरसी सद्भार्या पूरवाईना पुण्यार्थे श्री पार्श्वनाथ विंवं कारितं सकल संघेन प्रतिष्ठितं । ( 655 ) सं० १९२१ वर्षेमाघ सुदि० गुरौ श्री मदंचल गच्छे पूज प्रहारक श्री रत्न सागर सूरीणां सदुपदेशात् श्रां कच्छदेशे श्री नलित पुर वास्तव्य | ओशवंशे लघुशाखायां नागडा गोत्रे सा० श्री राघव लक्ष्मण सद्भार्या देमतबाई तत्पुत्र सा० अभयचंदेन पुन्यार्थं शांतिनाथ विवं कारितं सकल सघेन प्रतिष्ठितं ॥ सेठ कस्तुरचन्दजी का मन्दिर (656) संवत १६९३ वर्षे वईशाष सुदि ६ गिरौ वास्तव्य श्रीपत्तन नगरे ओसवाल ज्ञातीय वृद्ध शाषायां सोनी तेजपाल सुत सोनी विद्याधर सुत सोनी रामजी भार्या वाई अजाई
SR No.009678
Book TitleJain Lekh Sangraha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPuranchand Nahar
PublisherPuranchand Nahar
Publication Year
Total Pages341
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size98 MB
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