SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 146
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ( १०३ ) सिंहपूरी । / ( 424 ) सं० १५३४ वर्षे मार्ग सुदि १० शनौ प्राग्वाट ज्ञातीय सा० राज भार्या वारू पु० सा० असपति प्रा० असल देवी माई सुत गुणराज सरादि कुटुम्ब युतेन श्री मुनि सुव्रत विव कारितं प्रतिष्ठतं श्री वृहत्तपाच्छे श्री उदयसागर सूरिभिः । V (425) चरण पर । सं० १८५७ मिति चैत्रक मासे कृष्ण पक्ष षष्ट्यां कर्म्मवा-पूज्य महारक श्रीजिन हर्ष सूरि विजयराज्ये श्रीसिंहपूर ग्रामेतेषां केवलोत्पत्ति स्थाने गांधि गोत्रीय मयाचंद प्रमुख समस्त श्रीसंघेन श्रो श्रेयांसाख्या नामेकादशानां लोक नाथानां पादन्यासः कारितः प्र० श्री जिन लाभ सूरिणां शिष्यैः उपाध्याय श्रीहोरधर्म गणिभिः खरतर गच्छे । मिर्जापुर | पञ्चायती मन्दिर | /426 ) श्री पार्श्वनाथ विंव पर । सं० १३७९ वर्षे उएसज्ञातीय वावेला गोत्रे देवात्मज सा० घीका पुत्र संघपति झाझा सुत सा०- जूकेन पितृ श्रेयसे का० प्रति० श्री कृष्णर्षिगच्छे श्री प्रसन्न चंद्र सूरिभिः ॥ J (427) श्रेयसे सं० १४२० वर्षे वैशाष शुदि १० शुक्रे श्री श्री मालज्ञातीय ठ० वीजा भार्या मोहनदेवि सुत 'जोलाकेन श्री पार्श्वनाथ विंवं कारितं प्रतिष्ठितं त्रिभवीया श्रीधर्मदेवसूरि संताने श्रीधर्मरत्न सूरिभिः ॥
SR No.009678
Book TitleJain Lekh Sangraha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPuranchand Nahar
PublisherPuranchand Nahar
Publication Year
Total Pages341
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size98 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy