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________________ ( १०२ ) 419 ) सं० १५१९ आषाढ़ वदि - मंत्रि दलीय श्री काणा गोत्रे ठा० लाघू भा० धर्मिणि पु० स० अचल दासेन पु० उग्रसेन लक्ष्मीसेन सूर्यसेन बुद्धिसेनादि युतेन श्री आदि विंवं का० प्र० जिन भद्र सूरि पट्ट े श्रीजिन चंद्र सूरिभिः श्री खरतर गच्छे ॥ श्रोः ॥ 420) सं० १५३६ वर्षे वै० वदि ११ ओसवंशे साह शिवराज भा० माणिक सुत देवदत्त भा० रूपाई सुख साह कर्म सिहन भार्या हंसाई स्वकुटुम्व युतेन स्वश्रेयसे श्री संभवनाथ विंवं का० प्र० वृद्वतपापक्षे श्रीउदय सागर सूरिभिः श्री मंहुपे । ( 421 ) सं० १५०० वर्षे माह सुदि ११ रवौ उपकेश वंशे छजलाणी गोत्रे साह श्री पाल भार्या सुहवदे पु० सा० ऊधा सा० जोधा ऊधा भार्या उमादे प्रमुख कुटुम्ब सहितेन श्री चंद्रप्रभ स्वामि विंवं कारितं नागुहरी तपागच्छे श्री सोम रतन सूरि प्रतिष्टितं तिजारा नगरे ॥ प्रतापसिंहजी का मंदिर । √ ( 422 ) सं० १५२० वर्षे पोष सुदि १३ शुक्रे श्री ब्रह्माण गच्छे श्री श्रीमाल ज्ञातीय श्रे० मंडलिक सुतकामा भार्या कामीदे सुत झाकण नगराज रत्ना सहितेन आत्म श्रेपोर्थं श्री नमिनाथ विवं का० प्र० श्रीशील गुण सूरिभिः पाटरी वास्तव्यः । / ( 423 ) सं० १५४८ वर्षे वैशाष शुदि ३ गुरौ श्री श्रीमाल ज्ञातीय श्रे० वीरम सु० वेला मातर भार्या सोही सु० महिराज जिणदास महिपति लहूआ कुटुम्ब युतेन आत्म श्रेयोर्थं श्री श्रेयांस विंवं आगम गच्छे श्रीसोम रत्न सूरि गुरूपदेशेन कारितं प्रतिष्ठितं च विधिना घांदू वास्तव्यः ॥
SR No.009678
Book TitleJain Lekh Sangraha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPuranchand Nahar
PublisherPuranchand Nahar
Publication Year
Total Pages341
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size98 MB
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