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________________ (६५) (246 ) सं० १८४८ मिती कातिक सुदि ७ तिथौ।श्रीसंघेन । श्रीविपुलाचले मुक्तिंगतस्याति मुक्तकमुने मतिः कारिता । प्रतिष्टिताच श्रीअमृतधर्म वाचकः। (247 ) सम्वत १९३८ ज्येष्ठमासे शुक्ल पक्ष द्वादशी गुरु वासरे श्रीचन्द्रप्रभ जिन चरण न्यासः प्रतिष्ठतं वृद्ध विजय गणि प्रथम जीर्णोद्धार माणिकचन्द गंधी करापितं विपुलाचल दुतिय जीर्णोद्धार राय लछमीपति सिंह धनपति सिंह करापितं । श्रोरस्तु ॥ (248 ) संवत १९३८ ज्येष्ठ मासे शुक्ल पक्षे द्वादश्यां श्री मुनि सुव्रत जिन घरण न्यासः वृद्ध विजय प्रतिष्टितं राय लछमीपति सिंह धनपति सिंह जीर्णोद्धार करापितं श्रीरस्तुशुभं भूयात् विपुलाचल। रत्नगिरि। ( 249 ) ॥ ॐनमः ॥सम्बत १८१९ वर्षे माघ मासे शुक्ल पक्ष तिथौ श्री नेमिनाथ जिन चरण कमले स्थापिते हुगली वास्तव्य ओश वंशेगांधी गोत्रे बुलाकीदास तत्पुत्र साह माणिक चन्देन श्रीराजगृहे रतनगिरी जीर्णोद्धार फरापिते ॥ श्रियोस्तु ॥ ( 250 ) ॥ ॐनमः ॥ सम्बत १८१८ वर्षे माघमासे शुक्ल पक्ष ६तिथो श्रोशांतिनाथ जिन चरण कमले स्थापिते हुगली वास्तव्य ओशवं0 गांधी गोत्रे बुलाकोदास तत्पुत्र साह माणिक चन्देन श्रीराजगृहे रतनगिरी जीर्णोद्धारं का।
SR No.009678
Book TitleJain Lekh Sangraha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPuranchand Nahar
PublisherPuranchand Nahar
Publication Year
Total Pages341
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size98 MB
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