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________________ इस संवत् का उल्लेख नहीं मिलता. मौर्य राज्य की स्थापना की थी अत यदि यह अनुमान ठीक हो तो इस भारतीय संवत १६५ नंद वंश को नष्ट कर राजा चंद्रगुप्त ने ई. स. पूर्व ३२६ के आस पास एव अनुमान होता है कि यह संवत् उसी घटना से पता हो. संवत् का प्रारंभ ई. स. पूर्व ३२१ के आस पास होना चाहिये. ६- सल्यकिडि संपत् ई. स. पूर्व ३२३ में धूनाम के बादशाह सिकंदर ( अलेक्जेंडर) का देहांत होने पर उसके सेनापति राज्य के लिंग आपस में लड़ते रहे. अंत में तीन राज्य मकवूनिया ( मसिडोनिया, ग्रीस में ), मिसर और सीरिया (बाबीलन ) कायम हुए. सीरिया का स्वामी सेल्युकर निकाटॉर बना जिसके अधीन बारुट्रिआ आदि एशिया के पूर्वी देश भी रहे. सेल्युकस के राज्य पाने के समय अर्थात् ता १ अक्टोपर ई. स. पूर्व ३१२ से उसका संवत् (सन् ) चला जो बाट्रिया में भी प्रचलित हुआ हिंदुस्तान के काबुल तथा पंजाब आदि हिस्सों पर बाट्रिया के ग्रीकों (यूनानियों) का आधिपत्य होने के बाद उक्त संवत् का प्रचार भारतवर्ष के उन हिस्सों में कुछ कुछ हथा हो यह संभव है. यपि अब तक कोई पेसा ले नहीं मिला कि जिसमें इस संवत् का लिखा जाना निश्चयात्मक माना जा सके तो भी इस संवत् के साथ लिखे जानेवाले मसीडोनिअन (यूनानी ) महीने शक तथा कुशन वंशियों के समय के कितने एक खरोष्ठी लेखों में मिल जाते हैं. जिन लेखों में ये विदेशी महीने मिले हैं ये विदेशियों के खुदवाये हुए हैं. उनमें दिये हुए 'वर्ष किस संवत के हैं इसका अब तक ठीक निर्णय नहीं हुआ तो भी संभव है कि जो लोग विदेशी मसीडोमिन् (यूनानी) महीने लिखते थे वे संवत् भी विदेशी ही लिखते होंगे चाहे वह सेल्युकिडि ( शताब्दियों के करहित ), पार्थिवन्' या कोई अन्य (शक ) संवत् हो ७- विक्रम संवत् विक्रम संवत् को मालव संवत् (मालव काल ) भी कहते हैं. इसके संबंध में यह प्रसिद्धि चली जाती है कि मालवा के राजा विक्रम या विक्रमादित्य ने शकों का पराजय कर अपने नाम का संवत् चलाया. धौलपुर से मिले हुए चाहमान ( चौहान ) महासेन के विक्रम संवत् ८ ( ई. स. ८४१ ) १. लोरिन तंगाई ( स्वात जिले में ) से मिली हुई बुद्ध की मूर्ति के आसन पर खुदे हुए सं. १ के खरोष्ठी लेख ( स ३१८ प्रोटवदस दि २७ श्रा. स. र ई.स. १६०३-४, पृ. २५१ ) तथा हश्तनगर ( पुष्कलावती ) से मिली हुई बुद्ध की ( अपने शिष्यों सहित ) मूर्ति के आसन पर खुवे सं. ३८४ ( सं ३८५ प्रोटवदस मसल दिवसांम पंचमि ५ . जि. १२, पृ. ३०२ ) के लेख में दिया हुआ संवत् कौनसा है यह अनिश्चित है. संभव है कि उनका संवत् मौर्य संवत् हो. १ मसी महीनो के नाम क्रमशः हाइपरबेरेटिभम् (Hyperberetous विष पि (Apellmus), fire (Audves), fefewer (Puritius), freze, ( Dystrus), fee (Xanthicus). आमिसिअस् ( Artemisius), डेसिअस् ( Dains), एनमस् ( Praemus ), लोअस् (Lous ) और गॉपिपास (Gurus) है इसे पहिला हाइपरे अंग्रेजी ऑक्टोबर के और अंतिम गोविस सेप्टेंबर के स्थाना है. अब तक इन मेसीन महीनों में से मह४१) वि के समय 1 के सं ५१ के वर्डक से मिले हुए पात्र पर के लेख में पैं. इंजि. ११, प्र. २१०), डेसिस् । ऋहसिक. कमिक के समय के सं. ११ के बिहार के ताम्रलेख में ई. जि. १०. पू. ३२६. जि. १९. पृ. १२८ ) और पमस् ( क्षत्रप प्रतिक के तक्षशिला से मिले हुए सं. ७८ के ताम्रलेख में पॅ. इंजि. ४, पृ. ५५ -लेखों में मिले हैं. • ↓ S क. पार्किन् संवत् का प्रारंभ इ. स. पूर्व २४७ के मध्य के आस पास होना माना जाता है (पृ. ४६ ) " मालकालाच्छरदा श्रशित्संयुतेष्वतीतेषु नवम शतेषु ( ग्यारसपुर का लेख ; ; श्र. स. रि. जि. १०. ले ११ ) Aho! Shrutgyanam
SR No.009672
Book TitleBharatiya Prachin Lipimala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGaurishankar H Oza
PublisherMunshiram Manoharlal Publisher's Pvt Ltd New Delhi
Publication Year1971
Total Pages318
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size8 MB
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