SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 230
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २१२ यही है जिंदगी व ९७. नमन में श्रद्धा का जनम : वह एक परोपकारी युवा संन्यासी था। उसके पास ऐसा रसायन था कि जिसकी एक बूंद पानी में मिला देने से रोगी अच्छे हो जाते थे। हजारों रोगी उस संन्यासी के पास आने लगे और निरोगिता प्राप्त करने लगे। संन्यासी की प्रसिद्धि हो गई। उस संन्यासी के गुरु थे, उनको अचानक कई रोगों ने आ घेरा। शिष्य की प्रसिद्धि उन्होंने सुनी थी। वे शिष्य के पास गये। शिष्य ने गुरु को सम्मान दिया और हर्ष व्यक्त किया। उसने गुरु को अपने रसायन की बूंद पानी में डालकर गुरु को पिला दिया। गुरु खूब प्रसन्न हुए। उनके सभी रोग दूर हो गये। धीरे से शिष्य को पूछा : 'बेटा, इस रसायन का नुस्खा मुझे भी बता दे, ताकि आगे व्याधि होने पर मैं प्रयोग कर सकूँ ।' शिष्य गुरु को एकान्त में ले गया और कहा : 'गुरुदेव, यह आपका ही चरणोदक है। हर गुरुपूर्णिमा के दिन मैं आपके चरण-प्रक्षालन का जल लाता हूँ और उसी की एक-एक बूंद सबको देता हूँ... आपको भी वही दिया है।' गुरु अपने आश्रम में पहुँचे और अपने पैर धोकर घड़ों में पानी एकत्र किया। व्याधिग्रस्त लोगों को रसायन पिलाया गया। परन्तु किसी को लाभ नहीं हुआ। लोगों ने उसको पाखंडी कहा | चारों तरफ अपयश फैल गया। गुरु शिष्य के पास गये और अपनी दुर्दशा बतायी । नम्रता से शिष्य ने कहा : 'गुरुदेव, केवल चरणोदक नहीं, मेरी गहरी श्रद्धा का पुट भी उसमें रहता है। जब कि आपके चरणोदक में आपके अहंकार का विष घुल गया... इसीलिए वह उपहास का कारण बना...।' ० ० ० - विनम्र मनुष्य की श्रद्धा, सुखद चमत्कार पैदा करती है। - अहंकारी मनुष्य के पास श्रद्धा का धन हो ही नहीं सकता है... फिर भी यदि वह चमत्कार करने जाता है तो उपहास का पात्र बन जाता है। रशिया में 'जूना दपिताश्वली' नाम की महिला है। वह किसी भी औषध के बिना, किसी भी प्रकार के उपचार के बिना लोगों को रोगमुक्त करती है। ७३ वर्षीया इस महिला को पूछा गया कि बिना दवाई और बिना उपचार तुम कैसे For Private And Personal Use Only
SR No.009641
Book TitleYahi Hai Jindgi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhadraguptasuri
PublisherMahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publication Year2009
Total Pages299
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size3 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy