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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १७ अपूर्व महामंत्र में जा पहुँची। विधिवत् वंदना करके विनयपूर्वक वह साध्वीजी के समक्ष बैठ गई। __साध्वीजी सुव्रता ने श्री नमस्कार महामंत्र का शुद्ध उच्चार करते हुए मंगल प्रारंभ किया। 'पुण्यशीले, आज पहले दिन मैं तुझे श्री नवकार महामंत्र की महिमा बताना चाहती हूँ। तुझे अच्छा लगेगा न?' सुरसुंदरी तो आश्चर्य के सागर में मानों डूब गयी... 'ओह, गुरूमाता! आपको मेरे मन की इच्छा का कैसे पता लग गया! मैं खुद आपसे यही प्रार्थना करनेवाली थी - 'आप मुझे सबसे पहले श्री नवकार महामंत्र का स्वरूप समझाने की कृपा करें ।' और आपने खुद यही बात कही! ____ 'कितना अच्छा इत्तफ़ाक़ रहा! तेरी जिज्ञासा के अनुरूप प्रस्ताव हो गया! तू भलीभाँति महामंत्र के स्वरूप को, उसकी आराधना विधि को ग्रहण कर सकेगी! 'आप महान है, गुरूमाता!' साध्वीजी ने आँखे मूंद ली। पंचपरमेष्ठि भगवंतो का स्मरण किया और अपना कथ्य प्रारंभ किया : 'हे सुशीले, इस विश्व में पाँच परम आराध्य तत्त्व है : अरिहंत, सिद्ध, आचार्य, उपाध्याय और साधु । परम इष्ट मोक्षपद की प्राप्ति करनेवाले - ये पाँच परमेष्ठि हैं। इन पाँच परमेष्ठि को किया हुआ नमस्कार सभी पापों का नाश करता है। यह नमस्कार महामंत्र सभी मंगलों में श्रेष्ठ मंगल है। कोई भी जीवात्मा यदि पाँच समिति के पालन में अनुरत बनकर, तीन गुप्तियों से पवित्र होकर इस महामंत्र का त्रिकाल स्मरण करता है, तो उसके शत्रु भी मित्र बन जाते हैं, जहर भी अमृत में बदल जाता है, शरणरहित अरण्य भी रहने लायक महल में तबदील हो जाता हैं। अनिष्ट संकेत और अपशुकन भी शुभ फल देनेवाले बनते है। दूसरे मंत्र, तंत्र इस महामंत्र को पराजित नहीं कर सकते। डायन परेशान नहीं करती, सर्प कमलदंड़ हो जाता है। हाथी हिरन-से मासूम हो जाते हैं। राक्षस भी रक्षा करने लगते हैं। भूत विभूति देनेवाले बन जाते हैं। व्यंतर नौकर बन जाते है। विपत्तियों में संपत्ति आ मिलती है। दुःख सुख में बदलने लगते हैं। ज्यों गरूड़ का स्वर सुनकर चंदन का वृक्ष सर्यों के लिपटाव से बरी हो For Private And Personal Use Only
SR No.009637
Book TitlePrit Kiye Dukh Hoy
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhadraguptasuri
PublisherMahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publication Year2009
Total Pages347
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size2 MB
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