SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 110
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पिता मिल गये उपवन में पहुँच कर यक्ष ने उसे पर्णशय्या बताकर कहा : 'बेटी, यहाँ पर तू रात बिताना । सुबह मैं वापस आकर तुझे यह उपवन एवं अन्य तीन उपवनों में ले चलूँगा। वहाँ तुझे कई आश्चर्यजनक चीजें बताऊँगा।' सुरसुंदरी ने पर्णशय्या पर विश्राम किया। यक्ष वहाँ से चला गया। श्री नमस्कार महामंत्र के स्मरण के साथ सुरसुंदरी ने शय्यात्याग किया। पूरब दिशा में उषा का आगमन हो चुका था । वृक्ष पर से पक्षीगण उड़ान भरते हुए दूर-दूर जा रहे थे। ___ सुरसुंदरी खड़ी हुई... और उपवन में टहलने लगी। इतने में पीछे से आवाज आयी : 'बेटी, कुशलता तो है न?' सुरसुंदरी ने पीछे झाँका तो यक्षराज प्रसन्न चित्त से वहाँ खड़े थे। 'पंच परमेष्ठी भगवंतों की कृपा से व आपके अनुग्रह से मैं कुशल हूँ।' 'चलो, अब वृक्षों का परिचय करवाऊँ ।' 'एक वृक्ष के नीचे जाकर दोनो खड़े रहे। यक्ष ने कहा : 'इस वृक्ष की डाली को स्पर्श करेगी तो ये डालियाँ नृत्य करने लगेगी! सुरसुंदरी ने स्पर्श किया और डालियों का नृत्य चालू हो गया! 'अब हम दूसरे उपवन में चलें ।' यक्षराज सुरसुंदरी को लेकर दूसरे उपवन में आये। 'देख, यह झरना जो बह रहा है... इसके पानी में नजर डाल... तू जो दृश्य देखना चाहेगी... वह दृश्य तुझे दिखेगा। तुझे इतना ही बोलने का कि मुझे यह देखना है।' सुरसुंदरी पानी में निगाहे डालती हुई बोली : 'मेरे स्वामी अभी जहाँ हो उसका दृश्य देखना है।' तुरंत समुद्र के पानी पर तैरते जहाज़ दिखायी दिये। जहाज़ के एक कमरे में बैठा अमरकुमार भी दिखाई दिया। सुरसुंदरी चीख उठी... 'अमर!' ___ यक्ष ने कहा : 'बेटी, यह तो मात्र दृश्य है! तेरी पुकार वह कहाँ से सुनेगा? देख... वह उदास-उदास लग रहा है न? उसे भी शायद पश्चाताप हुआ होगा त्याग करके!' अब आगे चलें... तीसरे उपवन में तुझे एक अदभुत चीज देखने को मिलेगी!' For Private And Personal Use Only
SR No.009637
Book TitlePrit Kiye Dukh Hoy
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhadraguptasuri
PublisherMahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publication Year2009
Total Pages347
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size2 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy