SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 67
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कुमारपाल का राज्याभिषेक ५७ की No - ११. कुमारपाल का राज्याभिषेक ८ आचार्यदेव श्री हेमचन्द्रसूरीश्वरजी ने कुमारपाल को राज्यप्राप्ति की जो तिथि बतलाई थी - वह उसे बराबर याद थी। वि. सं. ११९९ के वर्ष का आरम्भ था। कुमारपाल अपनी पत्नी भोपलदेवी के साथ पाटन आये। कुमारपाल की बहन प्रेमलदेवी पाटन में ही रहती थी। कुमारपाल अपनी बहन के वहाँ पहुँचे। उनके बहनोई कृष्णदेव ने कुमारपाल का स्वागत किया। कृष्णदेव ने कहा : _ 'कुमारपाल, तुम उचित समय पर आये हो । महाराजा सिद्धराज जयसिंह मृत्युशैय्या पर है। तुम्हारे ऊपर अब किसी प्रकार का भय नहीं है... इसलिए निश्चिंत होकर यहीं पर रहो।' सातवें दिन राजा सिद्धराज की मृत्यु हुई। और मगसिर वद चौथ के दिन कुमारपाल को सर्वानुमति से राजा बनाया गया। गुरुदेव के कहे हुए साल-महीने और तिथि के दिन कुमारपाल गुजरात के राजा बने। ० ० ० उस समय गुरुदेव कर्णावती नगरी में बिराजमान थे। उन्हें किसी मुसाफिर ने आकर कहा : 'त्रिभुवनपाल के पुत्र कुमारपाल का गुजरात के राजा के रूप में राज्याभिषेक हुआ है। गुरुदेव का मन हर्षित हुआ। उन्हें कुमारपाल के शब्द याद आये... 'मुझे राज्य मिलेगा तब मैं जैन धर्म का प्रचार करूँगा।' 'यह बात कुमार को याद है या नहीं?' यह जानने के लिए आचार्यदेव ने पाटन की ओर विहार किया। गुजरात के महामंत्री उदयन को समाचार मिले कि आचार्य श्री हेमचन्द्रसूरिजी पाटन में पधारे रहे हैं। उन्हें बहुत खुशी हुई। उदयन मंत्री को आचार्यदेव पर गहरी आस्था थी। जब हेमचन्द्राचार्य छोटे से चंगदेव थे... तब उदयन मंत्री For Private And Personal Use Only
SR No.009634
Book TitleKalikal Sarvagya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhadraguptasuri
PublisherMahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publication Year2009
Total Pages171
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size3 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy