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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कोयला बने सोनामुहर १६ मालूम पड़ेगा कि गरीबी क्या चीज है... और गरीब लोग क्या खाते हैं? क्या पीते हैं?' सोमचंद्र मुनि ने विस्मित स्वर में कहा : 'आप इस सेठ को निर्धन कहते हो? घर के उस कोने में तो सोने-चांदी और सोनामुहरों का ढेर पड़ा हुआ मुझे दिखाई देता है! लगता है यह सेठ कंजूस है!' __ अब विस्मित होने की बारी वीरचन्द्र मुनि की थी : 'कहाँ है सोनामुहरों का ढेर?' सोमचंद्र मुनि ने इशारे से ढेर बताया । वीरचन्द्र मुनि ने तेज से चमकते हुए उस ढेर को देखा। वे भी आश्चर्य से स्तब्ध हो उठे। धनद सेठ उन दो मुनिराजों के पास ही खड़े थे। उन्होंने हाथ जोड़ कर वीरचन्द्र मुनि से पूछा : 'गुरुदेव, ये छोटे मुनिराज क्या कहते हैं?' वीरचन्द्र मुनि ने बात को टालने की कोशिश करते हुए कहा... ये तो ऐसे ही...स्वाभाविक बातें कर रहे थे।' परन्तु धनद सेठ यों बात को जाने दे वैसे थे नहीं। उनके कानों पर 'सोनामुहर' शब्द टकराया था। उन्होंने आग्रह-अनुनय किया मुनिराज से : 'गुरुदेव, आप दया कीजिए... बात को टालिए मत! मेरे कानों ने कुछ शब्द सुन लिये हैं... आप यदि पूरी बात बताएंगे तो आपकी महती कृपा होगी। बड़ा उपकार होगा मुझ अभागे पर आपका!' वैसे भी पूरा परिवार दुर्भाग्य का शिकार होकर दिन काट रहा है...' धनद की आँखें छलछला उठीं। वीरचन्द्र मुनि ने कहा : 'ये बाल मुनि तो तुम्हारी हवेली के उस कोने में पड़े हुए सोनामुहरों के ढेर को देख रहे थे और मुझ से कह रहे थे... ये सेठ इतने श्रीमंत होने पर भी इस तरह गरीब की भाँति नमक - आटे की राब क्यों पी रहे है?' ____धनद सेठ चौंक पड़े। उनकी आँखें चौड़ी हो गईं। उन्होंने दोनों हाथों से वीरचंद्र मुनि को पकड़ कर झिंझोड़ सा दिया। याचनापूर्ण स्वर में वे बोले : ___ 'प्रभु, कहाँ है वह सोनामुहरों का ढेर? कहाँ देखा है आप ने? भगवंत...क्या सच ही वे सोनामुहरें हैं? For Private And Personal Use Only
SR No.009634
Book TitleKalikal Sarvagya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhadraguptasuri
PublisherMahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publication Year2009
Total Pages171
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size3 MB
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