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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra सटीक भविष्यवाणी www.kobatirth.org १९. सटीक भविष्यवाणी गुरुदेव हेमचन्द्रसूरिजी राजा कुमारपाल से कह रहे हैं : 'राजन्, शत्रुंजय तीर्थ का ध्यान करने से हजारों वर्ष के पाप नष्ट होते हैं। उस तीर्थ की यात्रा करने की प्रतिज्ञा लेने से लाखों वर्ष के पाप दूर हो जाते हैं। उस तीर्थ की ओर प्रयाण करने पर आत्मा निर्मल होती है। शत्रुंजय महातीर्थ है। राजा ने सविनय पूछा : 'गुरुदेव, तीर्थयात्रा श्रेष्ठ धर्मकार्य कैसे ?' गुरुदेव ने कहा : ‘परमार्हत्, उस तीर्थक्षेत्र में बिराजमान प्रभु प्रतिमा का दर्शन करने से, पूजन और स्तवन करने से देव होने का पुण्यकर्म उपार्जित होता है । यदि भक्तिभाव तीव्र हो जाता है तो सभी कर्म नष्ट हो जाते हैं। और आत्मा मुक्ति को प्राप्त करती है। इसलिए तीर्थयात्रा करनी चाहिए। तमाम धर्मकार्यो में तीर्थयात्रा श्रेष्ठ है । ' Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir • दान देता है ... शील का पालन करता है, - - ११३ 'कुमारपाल, तीर्थयात्रा में अन्य तमाम शुभ कार्य समाविष्ट हो जाते हैं । तीर्थयात्रा के दौरान मनुष्य - - तप करता है, शुभ विचारों में लीन रहता है, असत्य नहीं बोलता है, चोरी का त्याग करता है, - पैदल चलता है और दया का पालन करता है, इसलिए मैंने तुझे कहा कि तीर्थयात्रा श्रेष्ठ धर्मकार्य है। ऐसा धर्मकार्य करना चाहिए.... करवाना चाहिए .... यानी कि हजारों स्त्री-पुरुषों को साथ में लेकर प्रीति-भक्तिपूर्वक तीर्थयात्रा करवानी चाहिए ।' राजा के मन में तीर्थयात्रा की इच्छा पैदा हुई। उसने गुरुदेव से पूछा : 'गुरुदेव, वैसी तीर्थयात्रा में आप भी साथ में पधारोगे न?' 'उस समय जैसा उचित होगा वैसा करेंगे। वैसे तीर्थयात्रा करने की भावना तो हमारी भी है हीं । ' For Private And Personal Use Only
SR No.009634
Book TitleKalikal Sarvagya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhadraguptasuri
PublisherMahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publication Year2009
Total Pages171
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size3 MB
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