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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जिंदगी इम्तिहान लेती है १३८ हैं। कोई दिखावा नहीं... कोई 'आर्टीफिसियालीटी' नहीं! गाँवों में श्रद्धा और स्नेह की आवाज सुनाई देती है, जंगलों में कोयल की आवाज सुनाई देती है! गाँवों में भक्ति और प्रेम के पुष्प नजर आते हैं, जंगलों में जूही और गुलाब के फूल नजर आते हैं। गाँवों में सौहार्द और सरलता का संगीत सुनाई देता है, तो खेतों में बाँसुरी के सुर सुनाई पड़ते हैं। प्रजा कितनी सरल और विवेकी है! कोई फालतू बातें नहीं। कोई व्यर्थ वाद-विवाद नहीं। साधु-संतों की भावपूर्ण भक्ति करना और धर्म का उपदेश शांति से सुनना । अभी एक छोटे से गाँव में गए थे। जैनसंघ के १५ घर हैं। स्वागत में सभी स्त्री-पुरुष उपस्थित थे। प्रवचन में तो अजैन लोग भी आए थे। लोगों ने कहा : 'महाराज श्री, हमारे गाँव में बहुत कम साधु-मुनिराज पधारते हैं, पधारते हैं तो सुबह आए और शाम को रवाना। आप दो-चार दिन यहाँ स्थिरता करने की कृपा करें।' हम दो दिन उस गाँव में रहे, दो दिन प्रवचन दिए। आनंद अनुभव किया। अभी इडर से तो विहार भी धीरे-धीरे हो रहा है। हर गाँव में दो-चार दिन रुकते-रुकते आगे बढ़ रहे हैं। चूंकि कोई विशेष कार्यक्रम... या महोत्सव सामने नहीं है। कोई विशेष लक्ष्य बनाकर नहीं चल रहे हैं। यह पत्र तेरे पास पहुँचेगा तब हम एक प्राचीन तीर्थ 'कुंभारिया' में होंगे। यह तीर्थ ऐतिहासिक तीर्थ है। रमणीयता और नैसर्गिक सौन्दर्य तो है ही। यहाँ के जिनमंदिर कला समृद्ध हैं। विशाल मैदान, अनेक वृक्ष... और धर्मशालाभोजनशाला की सुविधा यहाँ उपलब्ध है। गुजरात के प्रसिद्ध स्थल अंबाजी से मात्र दो किलोमीटर की दूरी पर यह तीर्थ बसा हुआ है। इस तीर्थ में यात्रियों की ज़्यादा भीड़ नहीं होती है, इसलिए यहाँ शांति से परमात्मभक्ति होती है, शांति से जाप-ध्यान होता है और मौन की महान साधना हो सकती है। जब कभी तुझे समय की अनुकूलता हो, तू इस तीर्थ में आकर तीन-चार दिन रहना। परमात्मा के भव्य मंदिर में... नयनरम्य प्रतिमा के सामने बैठ जाना... नाम स्मरण करना, जाप करना, ध्यान करना, स्तवन करना... तुझे अपूर्व आत्मशांति मिलेगी। नई आध्यात्मिक स्फूर्ति प्राप्त होगी। तू नया उल्लास लेकर घर लौटेगा। ___ भौतिक सुख वैभवों के बीच कभी-कभी तू बेचैनी महसूस करता है न? ऐसे तीर्थ स्थानों में कुछ समय रहने से बेचैनी दूर होती है और आनंद, उल्लास से हृदय भर जाता है। For Private And Personal Use Only
SR No.009633
Book TitleJindgi Imtihan Leti Hai
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhadraguptasuri
PublisherMahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publication Year2009
Total Pages234
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size3 MB
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