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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ९८ जिंदगी इम्तिहान लेती है मनःसृष्टि दिव्य बन जाती है 'सायकोलॉजी ऑफ रिलीजन' के लेखक 'श्री थूलेस' ने 'सेन्ट कैथराइन' का प्रामाणिक विवरण दिया है। जब कैथराइन ईशुमसीह से तादात्म्य पाती थी, उसके शरीर के विभिन्न भागों में वैसी ही पीड़ा होती थी, जैसी पीड़ा ईशुमसीह को क्रॉस पर कील से ठोंकते समय हुई थी! ऐसी अवस्था में एक डॉक्टर को उनकी देखभाल करनी पड़ती थी। डॉक्टरी जाँच में पाया गया कि कैथराइन की पीड़ा वास्तविक थी। प्रिय मुमक्षु! यदि अपना ऐसा तादात्म्य भगवान महावीर से हो जाये... और मनःसृष्टि में वह घटना... ग्वाले ने भगवान महावीर के कान में कील ठोके थे... आ जाये... प्रगाढ़ तादात्म्य हो जाए तो हम को भी वैसी ही पीड़ा की अनुभूति हो सकती है | वैसी विभिन्न अनुभूतियाँ हो सकती हैं | भगवान महावीर का उपदेश भी वैसे सुना जा सकता है! शुद्ध चैतन्य का परमात्मा के साथ वैसा प्रगाढ़ तादात्म्य स्थापित होना चाहिए! परंतु कब होगा वैसा तादात्म्य... पता नहीं। जब कभी क्षणिक तादात्म्य भी हआ है, मैंने ऐसी दिव्य अनुभूति की है। वह अनुभूति क्षणिक होती है... कभी-कभार होती है, परंतु मैंने अपूर्व आनंद पाया है। सेन्ट कैथराइन जैसी प्रगाढ़ और दीर्घकालीन अनुभूति कब होगी, नहीं जानता हूँ | चाहता अवश्य हूँ... लेकिन मात्र चाह से क्या होता है? __ परमात्मा के ऐसे प्रगाढ़ ध्यान में लीन हो जाना है कि मेरी देह के अणुअणु में परमात्मा प्रतिबिंबित हो जाये! कोई मेरी आँखों में देखे तो उसको परमात्मा के ही दर्शन हो! यह असंभव तो नहीं है! अभी-अभी मैंने एक अमरीकी नागरिक 'टेड सेरियम' का किस्सा पढ़ा है। टेड सेरियम में ऐसी चेतना विकसित हुई है कि वह कैमरे के लेन्स में दृष्टि कर देता है, फिर वह जिस वस्तु की कल्पना, ध्यान करता है 'क्लिक' करने पर कैमरे में वही फोटो आ जाता है! यह कोई धोखा या चालबाजी नहीं है। मनोवैज्ञानिक डॉ. जूले आइसेनवेड की एक कमिटी ने अनेक परीक्षण किए और उपलब्ध प्रमाण 'दी वर्ल्ड ऑफ टेड सेरियम' के नाम से १९६७ में प्रकाशित कराया। अलग-अलग कैमरे, प्लेटें और उसके चारों ओर लोह-आवरण खड़े करके भी चित्र खिंचवाए गए, जो सर्वथा वास्तविक मिले। इन फोटों को विश्व प्रसिद्ध पत्रिका 'लाइफ' में प्रकाशित किया गया तथा अमरीका के अतिरिक्त अनेक देशों के टेलिविजन कार्यक्रमों में भी ये दिखाए गए। For Private And Personal Use Only
SR No.009633
Book TitleJindgi Imtihan Leti Hai
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhadraguptasuri
PublisherMahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publication Year2009
Total Pages234
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size3 MB
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