SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 95
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रवचन-५६ ८७ पढ़ते थे। दीपावली की छुट्टियों में अपने गाँव आये थे। दोनों ब्राह्मण थे। परन्तु कॉलेज में पढ़ते थे न! सर से चोटी कटवा दी थी। चोटी रखें तो कॉलेज में 'ओर्थोडाक्स' कहा जाये! दूसरे लड़के-लड़कियाँ उपहास करें! कटवा दी थी अपनी अपनी चोटी। जब वे अपने गाँव आये तब पास में ही कोई पवित्र नदी के किनारे धार्मिक मेला लगा था । नदी के किनारे कोई मन्दिर होगा और वहाँ मेला लगता होगा। उस गाँव के पास जो दूसरा गाँव था वहाँ मुसलमानों की आबादी थी। उस समय हिन्दू-मुसलमानों को बीच घोर विद्वेष पैदा हुआ था। झगड़े भी हुआ करते थे। हिन्दुओं के गाँव में यदि मुसलमान जाय तो जिन्दा नहीं लौटता था और मुसलमानों के गाँव में हिन्दु जाय तो जिन्दा नहीं लौटता था। हिन्दू मुसलमान को देखते ही मनुष्य मिट जाता था, हिंसक पशु बन जाता था, वैसे मुसलमान हिन्दू को देखते ही मनुष्य मिट जाता था, हिंसक पशु बन जाता था। भीतर की वैर की आग बाहर निकलने का निमित्त देखती थी। ब्राह्मण है तो मुसलमानी ‘ड्रेस' क्यों पहना है? ___ मेले में सब हिन्दू ही जाते थे, मुसलमान एक भी वहाँ नहीं जाता था। हिन्दू में भी ज्यादातर ब्राह्मण ही वहाँ जाते थे, हजारों की तादाद में! ये दो ब्राह्मण कॉलेजियन युवक भी एक दिन मेले में गये | परन्तु दोनों ने लुंगी पहनी थी! नया-नया फैशन आया था लुंगी पहनने का। और उस प्रदेश में लुंगी हिन्दू लोग नहीं पहनते थे, मुसलमान पहनते थे। मेला ब्राह्मणों का, मेला धार्मिक था और ये दो बुद्धिमान मुसलमान की वेश-भूषा बनाकर पहुँचे मेले में! मेले में लोग इन दो युवकों को घूर-घूर कर देखने लगे | जब ये दोनों युवक मंदिर के पास पहुंचे तब ब्राह्मणों ने घेर लिया और 'मलेच्छों को मारो...मुसलमानों को मारो...' कहते-कहते लोगों ने प्रहार करने शुरू कर दिये। ८/१० लाठियाँ तो लग चुकी थीं और दोनों मित्र जमीन पर गिर गये थे, इतने में उस गाँव के ही तीन-चार पुरुष वहाँ आ पहुँचे और उन्होंने पहचाना कि 'अरे, ये तो अपने गाँव के लड़के हैं....ब्राह्मण हैं!' उन्होंने मारने वालों से कहा : 'भाई, इनको मत मारो, ये तो हमारे गाँव के ही ब्राह्मण युवक हैं।' उन दो लड़कों के तो बोलने के भी होश नहीं थे। दूसरे लोगों ने कहा : 'यदि ब्रह्माण हैं तो म्लेच्छों का वेश क्यों पहना है? सर पर चोटी भी नहीं रखी, क्या बात है? नये मुसलमान बने लगते हैं!' तब गाँव वालों ने कहा : 'भैया, ये लड़के बनारस में कॉलेज में पढ़ते हैं और अपन जानते हैं न कि कॉलेज में जाकर लड़के अपने For Private And Personal Use Only
SR No.009631
Book TitleDhammam Sarnam Pavajjami Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhadraguptasuri
PublisherMahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publication Year2010
Total Pages274
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Discourse, & Religion
File Size2 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy