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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ७१ प्रवचन-५५ चाहिए। यदि मकान अच्छा होता है, अच्छे लक्षणों से युक्त होता है तो मकान में जाते ही आपको आह्लाद होगा। वातावरण घनघोर बादलों से छाये हुए आकाश जैसा नहीं लगेगा परन्तु वसन्त ऋतु के आगमन जैसा मधुर और सुखप्रद लगेगा। __ परन्तु संसार में ऐसे बहुत लोग हैं कि जिनको अपनी पसंदगी के मकान में रहने को नहीं मिलता है! जैसे सरकारी कर्मचारी! कोई मील के कर्मचारी, नौकर....इनको सरकार की ओर से, कम्पनी की ओर से जो मकान मिलता है, उसमें रहना पड़ता है। अभी थोड़े दिन पहले एक पत्रिका में विदेश की एक घटना पढ़ी, विश्वसनीय लेखक ने लिखी हुई घटना है, इसलिए विश्वास किया जा सकता है कि ऐसी घटना घटी होगी। विदेश की एक सत्य घटना : ___ यह घटना है एडिनबरो की। वहाँ एक स्ट्रीट में एक मकान ऐसा था कि जो व्यक्ति उस मकान में आकर रहता था उसको एक स्त्री का प्रेत दिखाई देता था। और वह व्यक्ति, वह परिवार डरकर वहाँ से भाग जाता था! कौन रहे ऐसे मकान में? फिर भी जिनको दूसरा कोई मकान नहीं मिलता था, वह इस मकान में रहने के लिए आ जाता था! जब भूत को देखता था, घर छोड़कर भाग जाता था। एक बार इस मकान में पुलिस इन्स्पेक्टर डिक्सन रहने को आये। उन्होंने किराये पर यह मकान ले लिया था। पहली रात थी, अखबार पढ़कर जब वे सोने जा रहे थे कि हवा का एक सर्द झौंका इतनी तेजी से कमरे में आया कि खिड़की के दरवाजे एवं पर्दे जमीन पर गिर पड़े और 'फायरप्लेस' में जलती हुई आग अपने आप बुझ गई। डिक्सन ने खड़े होकर पुनः दरवाजे बन्द किये और बिस्तर की ओर बढ़े....तभी द्वार पर दस्तक हई। दरवाजा खोला तो सामने एक युवती खड़ी थी! प्रश्नसूचक दृष्टि से डिक्सन ने उसको देखा तो युवती बोली : 'क्या मैं अन्दर आ सकती हूँ?' डिक्सन ने उसको अन्दर आने दिया। वह युवती, वास्तव में इस मकान में पहले रहनेवाली एक लड़की का प्रेत थी! जिसकी इस मकान में हत्या कर दी गई थी। उसका नाम था 'मिस ज्यूरी' | उसने डिक्सन से कहा : 'आप पुलिस इन्स्पेक्टर हैं, इसलिए मुझे विश्वास है कि आप मेरी सहायता करेंगे। जिस बंगले में आप रह रहे हैं, For Private And Personal Use Only
SR No.009631
Book TitleDhammam Sarnam Pavajjami Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhadraguptasuri
PublisherMahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publication Year2010
Total Pages274
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Discourse, & Religion
File Size2 MB
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