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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रवचन-५२ ४३ देशों में भी जाकर बस जाते हैं! अमेरिका, ब्रिटन जैसे पश्चिम के देशों में तो लाखों भारतीय लोग जाकर बस गये हैं, परन्तु उन लोगों का लक्ष्य मात्र अर्थपुरुषार्थ और कामपुरुषार्थ ही होता है। ढेर सारे रुपये कमाना और बस, भोग-विलास करना! मानवजीवन का लक्ष्य धर्मपुरुषार्थ होना चाहिए : यह बात कभी नहीं भूलना कि मानवजीवन में हमारा साध्य है धर्मपुरुषार्थ! अर्थ और काम तो मात्र साधन के रूप में चाहिए। साध्य को भूलकर, साधन में लीन नहीं हो जाना चाहिए। अपने योग्य आश्रय खोजना भी एक साधन ही है। अच्छा आश्रय हो तो तीनों पुरुषार्थ सुचारु रूप से हो सकते हैं। निर्भयता और निश्चिंतता रह सकती है। बम्बई में मेरे पूर्वपरिचित एक भाई रहते हैं। मैं जानता हूँ कि वे २५-३० साल से नौकरी कर रहे हैं | परन्तु कभी किसी बात को लेकर उन्हें फरियाद करते मैंने नहीं देखा । एक दिन मैंने उनसे पूछा : ‘एक ही जगह २५-३० साल से नौकरी करने में तुम्हारी बचत क्या होगी?' उसने मुसकराते हुए कहा : 'बचत की मुझे आवश्यकता ही नहीं रहती है न? सेठ ऐसे मिले हैं कि मेरा कोई भी काम हो तो बन जाता है। सेठ ने मुझे कह दिया है : 'तुम किसी प्रकार की चिन्ता नहीं करना । जब ज्यादा रुपये चाहिए, मेरे से ले लेना । और मैं दस-बीस दफे उनसे रूपये ले आया हूँ! मेरे नाम वे रूपये लिखते भी नहीं!' जिस सेठ के वहाँ यह भाई नौकरी करते हैं, उस सेठ को भी मैं जानता हूँ। एक दिन मैंने सेठ से पूछा था : 'ये भाई आपके पास २५ वर्ष से नौकरी करते हैं.... कैसे हैं?' सेठ ने कहा : 'मैं उसको मेरा चौथा लड़का ही मानता हूँ। हालाँकि मुझे मेरे लड़कों पर जितना विश्वास नहीं है उतना विश्वास उस लड़के पर है। बहुत ही निष्ठावान् और प्रामाणिक लड़का है।' पहले स्वयं योग्य बने फिर आश्रय खोजे : सुयोग्य आश्रय पाने के लिये, व्यक्ति को सुयोग्य बनना आवश्यक होता है। आश्रय देनेवाले को धोखा दें, आश्रय को ही काटने का प्रयत्न करें... तो समझना कि गृहस्थोचित सामान्य धर्म से वह वंचित है और विशेष धर्म करने के लिये सुयोग्य नहीं है। राजस्थान की एक घटना है। एक भाई, जो कि ग्रेज्युएट थे, परन्तु बेकार थे। उसके रिश्तेदार के एक मित्र बंबई में अच्छे व्यापारी थे। रिश्तेदार ने इस लड़के को उनके वहाँ बंबई भेजा | उस व्यापारी For Private And Personal Use Only
SR No.009631
Book TitleDhammam Sarnam Pavajjami Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhadraguptasuri
PublisherMahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publication Year2010
Total Pages274
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Discourse, & Religion
File Size2 MB
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