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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रवचन- ५२ ३७ कुलाचार | वैसे, किसी प्रजाजन के पास ज्यादा धन-संपत्ति देखता तो लूट लेता। सारी संपत्ति छीन लेता। इसलिए संपत्तिवाले, राजा से और राजा के सेवकों से डरते रहते । अपनी संपत्ति को छुपाकर रखते । संपत्ति का प्रदर्शन खतरनाक है : राजाओं के समय की एक कहानी है। एक राजा था, सदाचारी था, परन्तु संपत्ति का लोभी था । नगरश्रेष्ठि के साथ राजा की मित्रता थी। नगरश्रेष्ठि के पास बहुत संपत्ति थी। श्रेष्ठि के मन में एक दिन विचार आया : 'राजा मेरा मित्र है, मित्र से कोई बात छुपानी नहीं चाहिए । मेरी संपत्ति उसको बता देनी चाहिए। मेरी संपत्ति देखकर राजा खुश हो जायेगा और राजसभा में मेरी इज्जत भी बढ़ जायेगी ।' श्रेष्ठि ने घर आकर अपने विचार, परिवारवालों के सामने रखे। सेठानी, चार लड़के और चार पुत्रवधुओं के सामने जब सेठ ने बात कही, सब खुश हो गये, परन्तु सबसे छोटी बहू मौन रही । सेठ ने उसको पूछा : 'बेटी, तू क्यों कुछ नहीं बोलती?' पुत्रवधू ने कहा : 'पिताजी, मुझे ठीक नहीं लगता है । राजा को अपनी संपत्ति नहीं बतानी चाहिए । परन्तु यदि आप सभी की इच्छा है, तो मेरी कोई नाराजगी नहीं है।' सेठ ने कहा : 'राजा मेरे मित्र हैं। मेरी संपत्ति देखकर उनकी नीयत बिगड़ने का भय नहीं है । राजा तो मेरी अपार संपत्ति देखकर खुश-खुश हो जायेंगे।' छोटी पुत्रवधू मौन रही । निर्णय लिया गया कि महाराजा को सपरिवार भोजन के लिए निमंत्रित किया जाय और संपत्ति के भंडार बताये जायें। नगरश्रेष्ठि ने राजा को भोजन का निमंत्रण दिया। राजा ने स्वीकार कर लिया । श्रेष्ठि ने राजा का भव्य स्वागत किया। परिवार के साथ राजा को उत्तम भोजन कराया। भोजनादि से निवृत्त होने पर सेठ ने राजा से प्रार्थना की : 'महाराजा, आपने मेरे घर पर पधारने की कृपा की है तो मेरी तुच्छ संपत्ति को भी देख लें। भूमिगृह में पधारें ।' राजा को लेकर सेठ भूमिगृह में गये, जहाँ सेठ ने अपनी अपार संपत्ति रखी थी । एक कमरा चाँदी से भरा हुआ था, एक कमरा सोने से भरा हुआ था और एक कमरा हीरे-मोती और पन्ने से भरा हुआ था। राजा, सेठ की संपत्ति देखकर मुग्ध हो गया । 'सेठ, तुम्हारे पास इतनी सारी संपत्ति है? मेरे राज्य की तिजोरी में भी इतनी संपत्ति नहीं है।' सेठ ने कहा : ‘महाराजा, आपकी कृपा से ही तो यह सब है ।' राजा खुश हुआ और For Private And Personal Use Only
SR No.009631
Book TitleDhammam Sarnam Pavajjami Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhadraguptasuri
PublisherMahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publication Year2010
Total Pages274
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Discourse, & Religion
File Size2 MB
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