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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रवचन-७२ २६१ __इस ग्रन्थ के टीकाकार आचार्यश्री कहते हैं कि 'अति शारीरिक श्रम करने के बाद तुरन्त भोजन नहीं करना चाहिए, तुरन्त पानी नहीं पीना चाहिए। तुरन्त भोजन करने से या पानी पीने से वमन हो सकता है, बुखार आ सकता है।' संयम-संतुलन अनिवार्य है : आचार्यदेव की यह सूचना महत्त्वपूर्ण है। थका-पका मनुष्य, ज्यादा क्षुधातुर होता है.... तो जरा-सा भी विलंब सहन नहीं कर सकता है, शीघ्र ही भोजन करने लगता है। यदि एकदम प्यास लगी होती है तो तुरंत ही पानी पीने लगता है। इससे उसके शरीर को नुकसान होता है। अपने आप पर संयम रखना बहुत आवश्यक है, सहनशक्ति को बढ़ाने से ही संयम रखा जा सकता है। असंयमी मनुष्य अपने आपको बड़ा नुकसान पहुँचाता है। इसलिए संयम के संस्कार बाल्यकाल से मिलने चाहिए। __ जैसे, आपका लड़का बाहर से दौड़ता हुआ घर में आया.... उसकी साँस भर आयी है.... आते ही वह पानी का गिलास भरता है, उसी समय आपको उसे रोकना चाहिए | कहना चाहिए : 'बेटा, दो मिनट शांति से बैठ, बाद में पानी पीना । अभी तेरा श्वास भी बैठा नहीं है.... पानी नहीं पीना चाहिए।' प्रेम से कहोगे तो वह मान जायेगा | छोटा बच्चा माँ की बात मान लेता है। वैसे, एक-दो किलोमीटर चलकर लड़का आया हो, या चार-पाँच सीढ़ी चढ़कर आया हो, आते ही 'मुझे खूब भूख लगी है माँ, जल्दी खाना दे दे....।' उस समय, यदि माँ समझदार हो तो.... कुछ दो-पाँच मिनट का विलम्ब कर देगी और धीरे-धीरे खाना परोसेगी। साथ-साथ मीठे शब्दों में कहेगी : 'मुन्ना, तुम जब थके-पके आये हो, तुरन्त भोजन नहीं करना चाहिए। तुरन्त भोजन करने से बुखार आ जाता है। उल्टी भी हो जाती है।' ऐसी बातें यदि मातापिता अपने बच्चों को बाल्यकाल से सुनाते रहें तो अच्छा असर पड़ता है। इतनी बातों का ख्याल रखो : सभा में से : माता-पिता को ही ऐसा ज्ञान नहीं है, तो फिर बच्चों को कैसे ऐसी बातें बतायेंगे? ___ महाराजश्री : बड़ी दुःख की बात है। यदि माता-पिता अज्ञानी होंगे तो बच्चों को संस्कार नहीं मिलेंगे। असंस्कारी प्रजा बढ़ती जायेगी, इससे संघ और शासन को कितना बड़ा नुकसान होता है, यह बात आप समझ पायेंगे For Private And Personal Use Only
SR No.009631
Book TitleDhammam Sarnam Pavajjami Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhadraguptasuri
PublisherMahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publication Year2010
Total Pages274
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Discourse, & Religion
File Size2 MB
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