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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रवचन-७१ २५१ राजा ने उस नैमित्तज्ञ को बुलाकर पूछा : 'है दैवज्ञ, ऐसा क्यों हुआ?' नैमित्तज्ञ ने कहा : 'महाराजा, आपके वहाँ जिस राजकुमार का जन्म हुआ है, उसके अद्भुत पुण्यप्रभाव से अकाल का संकट टल गया है। यह महान् धर्मात्मा है।' __ यदि मनुष्य इन सामान्य धर्मों को अपने जीवन में स्थान दे दे तो उसका वर्तमान जीवन और पारलौकिक जीवन कितना सुखमय बन सकता है? इन सामान्य धर्मों के पालन में कोई कष्ट भी तो नहीं है। अपनी प्रकृति को जानकर; उस प्रकृति के अनुकूल भोजन करने में कौन-सा कष्ट है? जब क्षुधा लगे तब भोजन करने में कौन-सा कष्ट है? आप मुझे बताइये न? स्वाद का सुख खतरनाक है : सभा में से : दूसरा तो कोई कष्ट नहीं है, स्वाद को छोड़ना मुश्किल है। रसनेन्द्रिय पर संयम पाना मुश्किल है। महाराजश्री : अपनी-अपनी प्रकृति को अनुकूल भोजन क्या स्वादरहित होता है? यों भी स्वाद पर तो विजय ही पाना है। रसनेन्द्रिय पर विजय पाये बिना, विजय पाने का पुरुषार्थ किये बिना, मोक्षमार्ग की आराधना कैसे कर पाओगे? रसनेन्द्रिय पर विजय पाने के लिए निम्न बातें ध्यान से सुनें : १. रसनेन्द्रिय के परवश बने जीवों का घोर अधःपतन होता है। दुर्गति में भी जाना पड़ता है। २. रसनेन्द्रिय के लोलुप जीव मांसाहार और शराब जैसे व्यसनों में फँसकर अपने वर्तमान जीवन को बरबाद करते हैं। ३. रसनेन्द्रिय परवश जीव, होटलों में, रेस्टोरेन्टों में जाकर भोजन करते हैं और फालतू अर्थव्यय करते हैं। शरीर को बिगाड़ते हैं। दवाइयों पर हजारों रुपये व्यय करते हैं। ४. रसनेन्द्रिय के परवश जीव, जब घर में उनको प्रिय भोजन नहीं मिलता है, तब गुस्सा करते हैं, झगड़ा करते हैं....इससे घर का वातावरण क्लेशमय बन जाता है। इससे पारिवारिक आनन्द नष्ट होता है। ५. रसनेन्द्रिय के परवश मनुष्य, अपने मन को धर्म-आराधना में जोड़ नहीं सकता है। उसका मन तो भोजन के विषय में ही भटकता रहता है। मन जोड़कर नवकार मंत्र की एक माला भी वह फेर नहीं सकता है। For Private And Personal Use Only
SR No.009631
Book TitleDhammam Sarnam Pavajjami Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhadraguptasuri
PublisherMahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publication Year2010
Total Pages274
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Discourse, & Religion
File Size2 MB
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