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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रवचन-७० २३६ एक शहर में हमें जाना था । अपरिचित शहर था । उपाश्रय कहाँ आया, हम जानते नहीं थे। हमने शहर में प्रवेश किया। एक भाई ने हाथ जोड़कर प्रणाम किया। हमने उनसे ही पूछा : 'भाई, उपाश्रय का रास्ता बताओगे?' उसने कहा : 'महाराज, सीधे सीधे इसी रोड़ पर चले जाओ, आगे बायीं ओर मुड़ जाना....।' वह चला गया । हम आगे बढ़े.... एक मोड़ आया । हमने वहाँ दूसरे व्यक्ति से पूछा : ‘उपाश्रय का रास्ता....' उस भाई ने तो इशारे से ही रास्ता बता दिया और चलता बना! हम तो पूछते-पूछते उपाश्रय पहुँच गये....परन्तु जिनको-जिनको पूछा, किसी में औचित्यबोध नहीं पाया। 'धर्मबिन्दु' ग्रन्थ के टीकाकार आचार्यश्री ने 'औचित्य-पालन' को कितना महत्त्वपूर्ण बताया है। उन्होंने कहा है : औचित्यमेकमेकत्र गुणानां राशिरकतः। विषायते गुणग्राम औचित्यपरिवर्जितः ।। 'एक ओर अकेला औचित्य और दूसरी ओर गुणों का समूह-दोनों समान हैं। औचित्य के बिना गुणों का समूह भी जहर जैसा है।' औचित्य की उपेक्षा मत करें : तपश्चर्या करते हो, परन्तु औचित्य नहीं है; दान देते हो, परन्तु औचित्य नहीं है शील का पालन करते हो, परन्तु औचित्य नहीं है; प्रभुपूजा करते हो, परन्तु औचित्य नहीं है.... तो आपके तप-दान-शील-प्रभुपूजा वगैरह जहर के बराबर हैं। चूंकि आपने औचित्य-पालन नहीं किया। कहाँ कैसा औचित्यपालन करना चाहिए, वह स्वयं समझने का होता है। इतनी बुद्धि तो होनी चाहिए। बुद्धि के बिना धर्माराधना कैसे हो सकती है? जिन लोगों में बुद्धि नहीं होती है और धर्मक्रियाएँ करते हैं, वे औचित्य-पालन नहीं कर पाते हैं। कुछ उदाहरण बताता हूँ। ० एक भाई मन्दिर में जाकर पूजा तो करते हैं, परन्तु साधुपुरुषों को वंदना नहीं करते, भिक्षा के लिए प्रार्थना भी नहीं करते! दीनजनों का तिरस्कार करते हैं। ० एक भाई वैसे हैं कि जो साधुपुरुषों को वंदना करते हैं, अपने घर आये हुए साधुपुरूषों को भिक्षा भी देते हैं, परन्तु प्रभुपूजा नहीं करते हैं और दीनदुःखीजनों को दान नहीं देते हैं! For Private And Personal Use Only
SR No.009631
Book TitleDhammam Sarnam Pavajjami Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhadraguptasuri
PublisherMahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publication Year2010
Total Pages274
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Discourse, & Religion
File Size2 MB
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