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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रवचन-५८ १०७ सरकार की ओर से अंडे, मछली और मांस खाने का कितना घोर प्रचार हो रहा है? सावधान रहना । 'मांसाहार करने से शक्ति बढ़ती है, ऐसी भ्रमणा में मत रहना । मांसाहार से शरीर का बल बढ़ता नहीं है, घटता है। मनुष्य का पेट पशुओं का कब्रस्तान नहीं बनना चाहिए! सरकार ने दूसरा पापाचार फैलाया है शराब का! सरकार शराब के कारखाने को 'लाइसन्स' देती है। इसका अर्थ यही हुआ कि शराब का उत्पादन सरकार ही करवाती है। विदेशी शराब का आयात करने देती है। सरकार के विदेशी मेहमानों की पार्टी में शराब परोसा जाता है। कुर्सी के लिए शराब से सौदा : ___ सभा में से : सरकार में बैठे हुए अनेक मिनिस्टर भी शराब पीते हैं महाराजश्री! महाराजश्री : इसलिए तो उन लोगों की बुद्धि भ्रष्ट हुई है। परन्तु पहले अपराधी तो आप लोग हैं, भारत के नागरिक हैं, चूँकि आप लोग ही शराबी को वोट देते हैं! मांसाहारी को वोट देते हैं! प्रजा ही देशनेताओं को चुनती है न? आप लोग यदि ऐसे पापाचारियों को अपने वोट नहीं दें तो वे कैसे चुने जायेंगे? वोट देते समय नेताओं के जीवन-व्यवहार की जाँच करते हो? ना रे ना! अच्छा भाषण देता हो और ज्यादा पैसा लुटाता हो....बस, उनको ज्यादा वोट मिल जाते हैं! वास्तव में देखा जाय तो गलती प्रजाजनों की ही है। दिल्ली में तो एक चुनाव का उम्मीदवार प्रचार ही ऐसा करता था कि 'यदि मैं चुनाव जीत जाऊँगा तो नशाबंदी दूर करूँगा। सबको शराब पीने की इजाजत मिल जायेगी। 'नशाबंदी होनी चाहिए' ऐसी बात करनेवाले को वोट मत दो!' आप लोग जानते हैं क्या, कि भारत के संविधान में शराबबंदी करने की बात लिखी गई है। संविधान का पालन ही कौन करता है? ___ सभा में से : शराब से राज्य सरकारों को अच्छी आमदनी होती है इसलिए शराब पर प्रतिबंध नहीं लगाया जा रहा है। महाराजश्री : सच्ची बात है : जिस 'बिजनेस' में ज्यादा आमदनी होती है, वह सब 'बिजनेस' सरकार करती है और प्रजा से करवाती है। भारत में अंग्रेजों के समय में जितने बूचड़खाने-स्लोटर हाउस नहीं थे, इतने स्लोटर हाउस स्वतंत्र भारत में बढ़ गये हैं। क्यों? अंग्रेज शासक भारतीय अहिंसाप्रिय जनता से कुछ डरते थे। स्वतंत्र भारत के शासक प्रजा को कुचलने की ही For Private And Personal Use Only
SR No.009631
Book TitleDhammam Sarnam Pavajjami Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhadraguptasuri
PublisherMahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publication Year2010
Total Pages274
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Discourse, & Religion
File Size2 MB
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