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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रवचन-४३ २२० से भी है, ज्ञान-संपत्ति से भी है, तप-संपत्ति से भी है! इसमें से कोई भी संपत्ति हो, फिर भी अभिमान न हो तो वह महान् शिष्ट पुरुष है, यह समझ लेना । ___ अद्वितीय बल होने पर भी कमजोर व्यक्ति के सामने जो बल का अभिमान प्रदर्शित नहीं करते हैं-सद्गृहस्थ की विशिष्ट श्रेष्ठता है। कोई उसका अपमान करता है फिर भी वह बलप्रदर्शन नहीं करता है-यह देखकर आप यदि आकर्षित हो जाते हो तो उसकी प्रशंसा किए बिना नहीं रहोगे। प्रशंसा हो ही जाएगी। अद्भुत रूप होने पर भी रूप का जिसको अभिमान नहीं होता है, अपने रूप की प्रशंसा करता नहीं फिरता है, उसको देख कर आप के दिल में क्या होगा? उसके प्रति सद्भाव जगेगा न? उसका रूप आपको जितना आकर्षित करेगा उससे भी ज्यादा उसकी निरभिमान दशा आपको विशेष आकर्षित करेगी। आप उसकी प्रशंसा किए बिना नहीं रहोगे? __ प्रसिद्ध वैज्ञानिक 'आइन्स्टीन' कितने बड़े बुद्धिमान थे? कितने बड़े वैज्ञानिक थे? फिर भी उनको नहीं था बुद्धि का अभिमान, नहीं था अपने ज्ञान का अभिमान! वे जहाँ रहते थे, उनके घर के सामने एक परिवार रहता था, उस परिवार की एक छोटी लड़की हमेशा 'आइन्स्टीन' के पास आया करती थी और गणित के 'सवाल' आइन्स्टीन से सुलझाती थी हल करती थी! आइन्स्टीन बड़े प्यार से उस छोटी बच्ची के साथ बातें किया करते थे और उसे गणित सिखाते थे! जब उस लड़की के माता-पिता ने यह बात जानी, वे स्तब्ध रह गए! 'इतने बड़े वैज्ञानिक हमारी लड़की से बात करते हैं। गणित सिखाते हैं?' वे 'आइन्स्टीन' की नम्रता के प्रशंसक बन गए। 'आइन्स्टीन' बड़े वैज्ञानिक तो थे ही, बड़े शिष्ट पुरुष भी थे। उनकी शिष्टता की प्रशंसा करने वाले में एक दिन शिष्टता अवश्य आएगी ही। प्रशंसा से शिष्टता मिलती है : ज्ञानी होने मात्र से शिष्टता नहीं आती है, ज्ञानी होने पर भी अभिमानी नहीं होना, शिष्टता है। श्रेष्ठ बुद्धिमत्ता होने मात्र से सज्जनता नहीं आ जाती, बुद्धिमत्ता होने पर भी अभिमान नहीं होना, सज्जनता है। ज्ञानी होने पर भी यदि अभिमानी है, बुद्धिमान होने पर भी गर्व करता है तो वह शिष्ट पुरुष नहीं कहलाएगा। बिना शिष्टता के, ज्ञानी हो या बुद्धिमान् हो, आत्मकल्याण की यात्रा नहीं कर सकता है। आत्मकल्याण की यात्रा में शिष्टता होना अनिवार्य For Private And Personal Use Only
SR No.009630
Book TitleDhammam Sarnam Pavajjami Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhadraguptasuri
PublisherMahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publication Year2010
Total Pages291
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Discourse, & Religion
File Size2 MB
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