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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रवचन- ३८ १६१ सम्हालेगी। वह पढ़ी-लिखी भी है ....सो हिसाब वगैरह भी समझेगी ....' पुत्रवधू वहीं पर थी। उसने सहर्ष स्वीकृति दे दी। सेठ खुश हो गये। घर के पीछे ही सेठ का बड़ा बगीचा था, उसमें ५०-५० गाय और भैंस बसा दीं। नौकर भी रख दिये । गोकुल की पूरी जिम्मेदारी पुत्रवधू पर डाल दी गई। सेठ तो मात्र ऊपर-ऊपर से निगरानी रखते हैं । पुत्रवधू अब सुबह से शाम तक इतनी व्यस्त रहती है कि उसको भोजन करने का भी समय नहीं मिल पाता है। दूसरे फालतू विचार तो आयें ही कैसे ? दूध-दहीं... मक्खन और घी का हिसाब लगाती रहती है। गायों और भैंसों की देखभाल करती रहती है। थकीपकी जब रात को सोती है, तब पलंग में पड़ते ही गहरी निद्रा में लीन हो जाती है! उसके मन से वह युवक निकल गया और उसके तन-मन तंदुरुस्त बन गये। परिश्रम से शरीर स्वस्थ रहता है और बुद्धिपूर्वक गृहकार्य में व्यस्त रहने से बुरे विचार मन में आते नहीं हैं। इसलिए ज्ञानी पुरुष कहते हैं कि स्त्री को गृहकार्य में व्यस्त रखो । यदि स्त्री घर के अनेक कार्यों में व्यस्त रहेगी तो उसके मन में पापविचार प्रवेश नहीं पायेंगे । परिश्रम करने से उसका शरीर रोगी नहीं बनेगा । काम की औषधि काम है। सेठ की गंभीरता और दक्षता : कुछ समझते हो इस उदाहरण से ? 'पुत्रवधू का मन परपुरुष में लगा है,' यह जानकर सेठ घबरा नहीं गये, पुत्रवधू के प्रति क्रोध भी नहीं किया, उसको उपदेश भी नहीं दिया । बुद्धि से, शान्तचित्त से सोचकर कैसा बढ़िया रास्ता निकाला? सेठानी को भी पुत्रवधू की गुप्त बात नहीं बताई । पुत्रवधू को भी नहीं जानने दिया कि वे उसकी गुप्त बात जान गये हैं। कितनी गंभीरता ? परिवार का बुजुर्ग कैसा होना चाहिए! बुजुर्ग हो या युवक हो, यदि वह परिवार का प्रमुख व्यक्ति है तो उसमें गंभीरता होनी ही चाहिए । कार्यक्षमता होनी चाहिए। परिवार के सभ्यों के तन-मन स्वस्थ और पवित्र बने रहें इसलिए उनको सुयोग्य कार्यों में नियोजित करने की बुद्धि और क्षमता होनी चाहिए । तो ही परिवार बुराइयों से बच सकता है। सेवा करने में शरम क्या ? : यौवनप्राप्त पत्नी हो या प्रौढ़ावस्था की पत्नी हो, उसको गृहकार्य में नियोजित करना ही चाहिए। वह स्वयं घर के सारे कार्य करती रहेगी, उल्लास से करती रहेगी तो उसका शरीर स्वस्थ रहेगा और उसका मन भी For Private And Personal Use Only
SR No.009630
Book TitleDhammam Sarnam Pavajjami Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhadraguptasuri
PublisherMahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publication Year2010
Total Pages291
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Discourse, & Religion
File Size2 MB
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