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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १३५ प्रवचन-३६ संपत्ति का स्रोत : स्नेहभरे संबंध : आजकल सामाजिक जीवन इतना विकृत हो गया है कि जिसकी चर्चा करना भी शोभा नहीं देता। बहुत थोड़े समाजों में कुछ नियम और मर्यादाएँ चल रही हैं। ज्यादातर समाजों में छोटे-बड़ों की मर्यादाएँ नष्ट हो गई हैं। इससे व्यक्ति को कोई विशेष लाभ होता हो, ऐसा भी दिखता नहीं है। मर्यादाभंग अनर्थ ही पैदा करता है। आवेश में आकर मनुष्य अविनय एवं औद्धत्यपूर्ण आचरण करके अच्छे सम्बन्धों का विच्छेद कर डालता है, परन्तु सोचता नहीं है कि संसार में अच्छे सम्बन्धों का कितना महान मूल्य है! अच्छे स्नेहपूर्ण सम्बन्धों को तो सभी संपत्तियों का मूल बताया गया है। 'जनानुरागप्रभवत्वात् संपत्तिनाम्' । दूसरी बात इससे भी ज्यादा महत्त्वपूर्ण बतायी है। ऐसे लोगों के साथ शादी नहीं करनी चाहिए कि जो लोग राज्य के अपराधी हों। जो लोग समाज की दृष्टि में अपराधी हों, नगर में, देश में कुख्यात हों। गाँव-नगर में जिनके बहुत विरोधी लोग हों, जो चोरी जैसे धंधे करते हों। ऐसे लोगों के साथ शादी-विवाह करने से आपकी प्रतिष्ठा भी आहत होती है। संभव है कि आप भी अपराधी बन जाओ। आप पर मिथ्या आरोप आ सकता है। आपके विषय में लोग शंकाशील बन सकते हैं | आप पर संकट आ सकता है। सरकार जब अपराधी को पकड़ती है तब उसके संबंधियों की भी तलाशी लेती है। भले, कुल की समानता हो और शील वगैरह की समानता हो, यदि वह भूतकालीन अपराधी है अथवा वर्तमानकाल का आरोपी है तो उसके साथ शादी तो नहीं, मित्रता का भी संबंध नहीं रखना चाहिए। ___ सभा में से : क्या कुलवान् और शीलवान् व्यक्ति ऐसे अपराधी हो सकते शादी का नाता किसके साथ नहीं करना : महाराजश्री : कुलवान् इसलिए कहा जा सकता है कि उसके पूर्वजों का इतिहास उज्ज्वल है, परन्तु इसका अर्थ यह नहीं है कि कुलवान् पुरुषों की परम्परा में सभी कुलवान ही पैदा हों। कुलांगार भी पैदा होते हैं न? पूर्वजों की उज्ज्वल कीर्ति को कलंकित करनेवाले पुत्रों को नहीं देखा है क्या? पूर्वजों के For Private And Personal Use Only
SR No.009630
Book TitleDhammam Sarnam Pavajjami Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhadraguptasuri
PublisherMahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publication Year2010
Total Pages291
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Discourse, & Religion
File Size2 MB
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