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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रवचन-३५ १२४ थी परन्तु बहुत कम बोलती थी। लड़के ने पत्नी को बिल्कुल 'मोर्डन' आधुनिक नारी बनाने का सोचा । आधुनिकता तभी प्रदर्शित हो सकती थी कि जब वह स्त्री अपनी भारतीय वेश-भूषा छोड़कर विदेशी और फिल्मी वेशभूषा पहने! 'हेर-स्टाईल' बदले और लिप्स्टिक एवं पाउडर वगैरह सौन्दर्य के प्रसाधनों का उपयोग करे | उस लड़के ने अपनी पत्नी से कहा : 'यह तेरी वेशभूषा मुझे जरा भी पसन्द नहीं है। मैं चाहता हूँ कि तू क्लब में मेरे साथ चले, सिनेमा में भी साथ चले.... पार्टियों में भी मेरे साथ ले चलूँ। मेरे मित्र भी अपनी-अपनी पत्नियों के साथ आते हैं.... मुझे भी कहते हैं : तू तेरी 'वाइफ' को लेकर क्यों नहीं आता? मैं उनकी बात को टाल देता हूँ| अब तू तेरे पुराने खयाल छोड़ दे। यह पुरानी वेशभूषा घर में करनी हो तो करना, मेरे साथ बाहर चले तब बिल्कुल 'मोर्डन' बनकर चलना होगा। मेरे मित्रों के साथ वैसा ही मुक्त व्यवहार करना चाहिए कि उनको लगे : ये दोनों मुक्त विचार के और मुक्त व्यवहार के लोग हैं।' उस समय तो लड़की ने पति की बात सुन ली शान्ति से, परन्तु एक दिन अवसर देखकर उसने अपने पति से कहा : 'आपकी हर बात मैं मानने को तैयार हूँ परन्तु पहले मेरी कुछ बातें आप सुनो और विचार करो। बाद में आप जो कहेंगे वही मैं करूँगी। आप मुझे 'मोर्डन' वेशभूषा में देखना चाहते हो तो वैसी वेशभूषा कर मैं आपके सामने आ सकती हूँ.... परन्तु वैसी वेशभूषा पहन कर दुनिया के सामने जाना मैं पसन्द नहीं करती हूँ | मुझे मेरा रूप आपको बताना है, दुनिया को नहीं। दुनिया रूप की शिकारी है। मैंने शादी आपसे की है, आपका मुझ पर संपूर्ण अधिकार है। मैं जानती हूँ कि आपका मेरे प्रति अनन्य स्नेह है, मैं भी आपको पूर्ण वफादार रहना चाहती हूँ| आपके मित्रों का अपने घर पर मैं उचित आदर-सत्कार करूँगी, परन्तु मेरे शील और सदाचार की रक्षा का मेरा लक्ष्य रहेगा | मैं एक भारतीय नारी हूँ, एक संस्कारी जैनपरिवार की लड़की हूँ....मैं मर्यादापूर्ण जीवन पसन्द करती हूँ, आपके साथ आ सकती हूँ, परन्तु ऐसे स्थानों में अपन को नहीं जाना चाहिए कि जहाँ अपने विचार बिगड़ते हों। आप कहिये, मैं जो भारतीय वेशभूषा पहनती हूँ उसमें मेरा सौन्दर्य आपको दिखता है न? आप कृपा कर मुझे आधुनिकता में नहीं खींचें और मेरी मर्यादाओं का पालन करने दें।' लड़का तो पत्नी की बात सुनता ही रहा। उसको पत्नी की बात में सच्चाई For Private And Personal Use Only
SR No.009630
Book TitleDhammam Sarnam Pavajjami Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhadraguptasuri
PublisherMahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publication Year2010
Total Pages291
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Discourse, & Religion
File Size2 MB
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