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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org प्रवचन- ३५ कपड़े भी करवा देते हैं झगड़े : Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १२३ वेश-भूषा को लेकर कभी-कभी पति-पत्नी में मतभेद पैदा हो जाता है.. झगड़ा हो जाता है। पुरुष चाहता है कि उसको जो पसन्द है वह वेश पत्नी पहने। पत्नी यह चाहती है कि उसको जो पसन्द है वह वेश पति पहने! एकदूसरे को पसन्द वेश पहनें तो तो कोई बात नहीं, परन्तु अपने अपने 'चोइस' के कपड़े पहनें और एक-दूसरे को पसन्द नहीं आयें तो झगड़ा होगा! इतना ही नहीं, पति-पत्नी ने एक-दूसरे की पसन्द के कपड़े पहने, परन्तु माता-पिता को वह वेश-भूषा पसन्द नहीं होगी अथवा मर्यादाहीन वेश-भूषा होगी तो घर में विरोध होगा, तकरार होगी, कहा- सुनी होगी । आन्तर्प्रान्तीय और आन्तरराष्ट्रीय 'मेरेज' करनेवालों के जीवन में इस प्रकार के झगड़े होने की संभावना ज्यादा होती है । प्रान्त - प्रान्त की और देशदेश की वेश-भूषा भिन्न होती है। जब तक शादी नहीं होती है, जब तक दोनों अलग रहते हैं, तब तक वेशपरिधान का प्रश्न नहीं उठता है, परन्तु शादी के बाद सहजीवन में कभी न कभी यह प्रश्न उठता है और संघर्ष शुरू हो जाता है। एक युगल के जीवन में वेश-भूषा को लेकर संघर्ष इतना बढ़ गया कि पुरुष आत्महत्या करने को तैयार हो गया ! पुरुष अच्छा वकील था, सुप्रिम कोर्ट का वकील था । पत्नी का यह आग्रह था कि वकील को कोर्ट में 'पेन्ट शूट' में जाना चाहिए। वकील सादगी पसन्द करता था, वह पायजामा और कमीज पहनकर कोर्ट में जाया करता था । पत्नी का वकील पर स्नेह भरपूर था, परन्तु आग्रह भी उतना ही भरपूर था ! रोजाना पत्नी इस बात को लेकर झगड़ा करती रहती। वकील परेशान हो जाता .... वह भी गुस्सा करने लगा । बात काफी बढ़ गई और वकील की मानसिक स्थिति अस्वस्थ बन गई। आत्महत्या करने तैयार हो गये ! भाग्यवश एक दिन वे मेरे परिचय में आये .... दोनों को समझाया और समाधान किया । For Private And Personal Use Only एक संस्कारी और धार्मिक परिवार की लड़की थी । एक श्रीमन्त परिवार में वह पुत्रवधू बनकर आयी । लज्जा, मर्यादा, विनय - विवेक वगैरह गुणों की मूर्ति थी वह लड़की। जिसके साथ शादी हुई वह लड़का भारत में पढ़ाई करने के बाद दो वर्ष विदेश में पढ़ाई करके आया था । विदेश की विकृति को लेकर आया था साथ में। यों तो लड़की भी 'ग्रेज्युएट' थी, परन्तु विनम्र थी । बुद्धिमान
SR No.009630
Book TitleDhammam Sarnam Pavajjami Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhadraguptasuri
PublisherMahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publication Year2010
Total Pages291
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Discourse, & Religion
File Size2 MB
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