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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रवचन-३४ ११४ किया परन्तु लड़का नहीं माना । आपस में झगड़ा होने लगा, लड़की को बहुत दुःख होने लगा। पति को उसने समझाया... परन्तु वह नहीं माना। ऊपर से उस लड़के ने पत्नी को भी मांसाहार करने का आग्रह किया। लड़की ने तो कह दिया : 'प्राण जाये तो भले जाये, मैं मांसाहार नहीं कर सकती।' वातावरण इतना तंग होता चला कि लड़की का जीना मुश्किल हो गया । एक दिन उसने अग्निस्नान करके जीवन का अन्त ला दिया। कैसा करुण अंत आया? उसने शादी से पूर्व शील की समानता नहीं देखी। उसने विश्वास कर लिया कि यह मांसाहार छोड़ देगा! परन्तु जिसकी वंश-परंपरा में मांसाहार चला आया हो, वह कैसे मांसाहार छोड़ सकता है? लाख में से कोई एक छोड़नेवाला मिल जाये तो किस्मत! वैसा ही शराब के विषय में है। यदि लड़की शराब नहीं पीती है, तो उसको शराबी के साथ शादी नहीं करनी चाहिए। भले शराबी आश्वासन दे, विश्वास दिलाये कि 'मैं तुझे शराब पीने के लिए मजबूर नहीं करूँगा अथवा मैं शराब छोड़ दूंगा....' परन्तु वह विश्वास का पालन नहीं कर पायेगा। एक दिन पत्नी को भी शराब पीने के लिए आग्रह करेगा। पत्नी मना करेगी तो वह शराबी मारपीट भी कर सकता है। पति-पत्नी के जीवन में क्लेश, संघर्ष और वैर बढ़ता रहेगा। या तो लग्नविच्छेद होगा अथवा घर से पत्नी का निष्कासन होगा या पत्नी आत्महत्या कर लेगी। शादी से पूर्व गलत आश्वासन देना, झूठा विश्वास दिलाना तो आज साधारण बात हो गई है। मांसाहार में अंडों का उपयोग तो कितना व्यापक बनता जा रहा है। सरकारी शिक्षा में अंडों का भक्षण करना उचित बताया जा रहा है। मांसाहार का जोरों से प्रचार हो रहा है। सरकार मद्यपान का निषेध कर रही है परन्तु मद्यपान इतना ही व्यापक बन रहा है। श्रीमन्त परिवारों में और मजदूर वर्ग में, कॉलेज के छात्रों में और छात्राओं में शराब पीना स्वाभाविक हो गया है। आज ऐसी सामाजिक मर्यादा तो रही ही नहीं कि जो मांसाहार करेगा और शराब-पान करेगा उसको समाज में स्थान नहीं रहेगा! समाज में तो धनवानों का और पढ़े-लिखे 'क्वालिफाइड' लोगों का स्थान बन गया है। भले वे मांसाहार करते हों और शराब भी पीते हों! समाज में उनको रोकनेवाली कोई शक्ति बची नहीं है। धर्मगुरुओं का उपदेश थोड़ा बहुत असर करता है परन्तु इस भयानक बाढ़ को रोकने में वह भी असमर्थ रहा है। परिस्थिति इतनी For Private And Personal Use Only
SR No.009630
Book TitleDhammam Sarnam Pavajjami Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhadraguptasuri
PublisherMahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publication Year2010
Total Pages291
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Discourse, & Religion
File Size2 MB
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