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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रवचन-६ ७९ बात है। जिनवचन अर्थात् जिनशासन आपके पास है, आपने कभी उस जिनशासन को देखा? कभी उसको समझा? कभी मूल्यांकन किया? रोग की दवाइयाँ-धर्मक्रियाएँ : कितना अपूर्व, कितना अद्भुत है जिनवचन! अनेकान्तवाद की दिव्य दृष्टि देनेवाला जिनशासन ही एक ऐसा धर्मशासन है कि जो विश्व में संवादिता ला सकता है। समाज में और परिवार में संवादिता स्थापित कर सकता है। मनुष्य के मन का समाधान कर सकता है। जिनवचन ने जो मोक्षमार्ग बताया हैकितना स्पष्ट, कितना व्यवस्थित और कितना सरल बताया है। जिनशासन ने जो अनेक धर्मक्रियाएँ-धर्मानुष्ठान बताए हैं, कितने वैज्ञानिक हैं! कभी तुम लोगों ने सोचा ही नहीं, तुम लोग कभी धर्म की बात सोचते ही नहीं! धर्मक्रिया करते हो, परन्तु धर्म के विषय में सोचते नहीं। अरे, सोचो नहीं, पर समझो तो सही! इतनी समझ तो आप में होनी चाहिए कि कौन-सा धर्मानुष्ठान कब करना चाहिए, कहाँ करना चाहिए, कौन-कौन-से उपकरणों से करना चाहिए, कैसे कैसे भाव होने चाहिए? यदि आप इतना भी सोचना पसंद नहीं करते, समझना नहीं चाहते, तो आप धर्म नहीं कर सकते। भले आप मानो कि हम धर्म करते हैं, तो वह आपकी भ्रमणा है, मिथ्या कल्पना है। आपके घर में आपका लड़का बीमार हो गया, आपका पारिवारिक डॉक्टर आया, लड़के को देखा और दवाइयाँ लिख दीं, आप बाजार से दवाइयाँ ले आए, डॉक्टर ने दवाइयाँ कब, कितनी और किस प्रकार लेनी-सब बताया, डॉक्टर चला गया। लड़का यदि दवाइयाँ लेता है, परन्तु डॉक्टर की सूचनाओं पर ध्यान नहीं देता है और जब इच्छा हो तब दवाई लेता है, जितनी इच्छा हो इतनी दवाई खाता है; जो अनुपान पसंद हो, उस अनुपान के साथ दवाई लेता है; तो क्या होगा? क्या यह उपचार उपचार कहा जाएगा? क्या इस प्रकार ली हुई दवाई रोग को मिटा सकेगी? निरोगिता प्राप्त होगी? क्या आप लड़के को इस प्रकार दवाई लेने दोगे? रोकोगे नहीं? यदि लड़का कहे कि 'दवाई लेने से काम है न? मैं दवाई लेता तो हूँ...' तो आप क्या कहोगे? चलने दोगे न? नहीं, वहाँ तो आप लड़के को डॉक्टर की सूचनाओं की याद दिलाओगे! 'जैसे तैसे दवाई लेने से आराम नहीं होगा मर जाएगा...' कहोगे! जरा तो सोचो, शरीर के रोग मिटाने के लिए जिस प्रकार डॉक्टर दवाई लेने को कहे उसी प्रकार लेनी पड़ती है और आप लोग लेते भी हो, पूरी सावधानी से! तो फिर अनन्त जन्मों For Private And Personal Use Only
SR No.009629
Book TitleDhammam Sarnam Pavajjami Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhadraguptasuri
PublisherMahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publication Year2010
Total Pages339
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Discourse, & Religion
File Size2 MB
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