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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ३३ प्रवचन-३ जवाब ही नहीं। 'नरक' ऐसा स्वतन्त्र शब्द है, यही नरक के अस्तित्व को सिद्ध करता है। अब तो माना न नरक के अस्तित्व को? नरक में कौन जीव जाता है, क्या करने से नरक में जाना पड़ता है और नरक में कैसी-कैसी यातनाएँ-वेदनाएँ सहनी पड़ती हैं-यह बात पूछो अब! ध्यान रखना, धर्म के विचार और धर्म के आचार नहीं अपनाए और पापविचार एवं पापाचारों में रमते रहे, तो नरक में जाना ही पड़ेगा। हजारों-लाखों-करोड़ों वर्ष तक, असंख्य वर्ष तक उस नरक की घोर, भयंकर वेदनाएँ परवश-पराधीन-असहाय बन कर सहन करनी पड़ेंगी। परमज्ञानी और परम करुणावंत ज्ञानीपुरुषों ने जीवों की ऐसी करुणास्पद स्थिति देखी थी, देखकर जीवों को दुःखों से बचा लेने के लिए उन्होंने धर्ममार्ग बताया। धर्ममार्ग पर चलनेवाला जीव, धार्मिक विचार और धार्मिक आचारों का पालन करनेवाला मनुष्य नरक में नहीं जाता। समझे न? धर्म का जन्म करुणा में से हुआ है। जीवों को दुःखों से मुक्त करने और सुख प्रदान करने हेतु धर्म बताया गया है। __ जैसे नरक का अस्तित्व तर्कों से सिद्ध किया जा सकता है वैसे स्वर्ग का अस्तित्व भी तर्कों से सिद्ध किया जा सकता है । स्वर्ग को 'देवलोक' भी कहते हैं। है, देवलोक भी है। अब तो विज्ञान को भी स्वर्ग का अस्तित्व मानना पड़े, ऐसी अद्भुत घटनाएँ बन रही हैं। उन घटनाओं का समाधान भौतिक विज्ञान के पास है ही नहीं। सैकड़ों को गतजन्म की स्मृति : थोड़े वर्षों से विज्ञान ने 'परा-मनोविज्ञान' शाखा को मान्यता प्रदान की है। अंग्रेजी में इसको 'पेरा-सायकोलॉजी' कहते हैं। जब विश्व में पुनर्जन्म की सैंकड़ो घटनाएँ बनने लगीं, पूर्व जन्म की स्मृतियाँ आने लगी लोगों को, तो 'सायन्टिस्ट' घबरा उठे। शरीरविज्ञान, पदार्थविज्ञान और मनोविज्ञान पूर्व जन्म की स्मृति के कारण खोजने में असमर्थ रहे। भारत में और अमेरिका, रशिया, इंग्लैन्ड, ईरान, इराक-जैसे देशों में भी पूर्व जन्म की स्मृतिवाले लोग मिलने लगे। पूर्व जन्म और पूर्व जन्म की स्मृति की वैज्ञानिक जाँच करने के लिए ‘परा-मनोविज्ञान' नाम की विज्ञान की शाखा का जन्म हुआ। एक घटना अमेरिका में ऐसी बनी है कि 'रथसीमोन्स' नाम की स्त्री को पूर्व जन्म की स्मृति हो आई वह है देवलोक की स्मृति! वह स्त्री पूर्व जन्म में स्वर्ग की देवी थी या देव थी। अमेरिका के डॉ. 'अलेकझेंडर कानन,' जो कि परा For Private And Personal Use Only
SR No.009629
Book TitleDhammam Sarnam Pavajjami Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhadraguptasuri
PublisherMahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publication Year2010
Total Pages339
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Discourse, & Religion
File Size2 MB
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