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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रवचन-३ ३२ कम-से-कम दस हजार वर्ष तो भयंकर दुःख उसे सहने ही पड़ते हैं। क्योंकि नरक में जीव का कम-से-कम दस हजार वर्ष का आयुष्य तो होता ही है। जैनधर्म ने जो विश्वव्यवस्था बताई है, आपने अध्ययन किया है? जैनधर्म में विश्व को 'लोक' कहा गया है। लोक के तीन विभाग हैं : ऊर्ध्वलोक, मध्यलोक और अधोलोक । सात नरक जो हैं, वे अधोलोक में हैं। इस विश्वव्यवस्था का आधार है गणित! 'लोक' कितना चौड़ा है, कितना ऊँचा है, उसका कैसा आकार है... सब आंकड़ों में बताया गया है। 'लोक' चौदह राज लंबा है और सात राज चौड़ा है। 'राज' एक माप का-'मेजरमेन्ट' का नाम है। नरकों का व्यवस्थित वर्णन प्राचीन ग्रंथों में प्राप्त होता है। शास्त्र भी प्रमाण माना गया है। क्योंकि शास्त्रों की रचना करनेवाले ऋषि-महर्षि प्रामाणिक थे। प्रामाणिक इसलिए थे क्योंकि वे निःस्वार्थी और निःस्पृही थे। वे क्यों झूठ बोलते? स्वार्थी और लालची मनुष्य ही झूठ बोलते हैं, निःस्वार्थी एवं निःस्पृही महात्मा तो सत्य के ही प्रतिपादक होंगे। जो बात हो, उसीकी मनाई होती है : ___ एक तर्क तो गजब का है! जो वस्तु होती है, उसी का निषेध किया जाता है! जिस वस्तु का कहीं भी अस्तित्व नहीं होता है उसका निषेध भी नहीं किया जा सकता है। यदि 'नरक' जैसा स्थान ही नहीं होता तो 'नरक' नहीं है, ऐसा प्रतिपादन नहीं हो सकता। 'नरक नहीं है-' ऐसा बोलते हो, इससे ही नरक का अस्तित्व सिद्ध हो जाता है। हाँ, इधर मध्यलोक में नरक नहीं है, ऊर्ध्वलोक में नरक नहीं है, यह बात सही है; परन्तु नरक ही नहीं है, ऐसा मानना पूरी तरह गलत है। __ शब्द जो होता है, अर्थ का बोधक होता है। 'पुस्तक' ऐसा शब्द है तो पुस्तक जैसा अर्थ यानी द्रव्य है! शब्द हो और शब्दवाच्य अर्थपदार्थ न हो, ऐसा कोई शब्द नहीं मिलेगा! बताइए आप लोग ऐसा एक भी शब्द! शब्द है परन्तु उस शब्द से वाच्य पदार्थ न हो। है ऐसा कोई शब्द? सोचो, विचार करके जवाब दो! हाँ, दो शब्दों के संयोजन से बना हुआ शब्द नहीं बताना, स्वतंत्र शब्द बताना! आप तो कह दोगे 'खरशृंग' शब्द है, परन्तु शब्दवाच्य अर्थ-गधे का सींग नहीं है! ऐसा शब्द नहीं चलेगा। 'गधा' शब्द है तो 'गधा' नाम का जानवर भी है। ‘सींग' ऐसा शब्द है तो 'सींग' नाम का अवयव भी है। है न यह अकाट्य तर्क? इस तर्क का प्रति-तर्क है ही नहीं। इसका कोई For Private And Personal Use Only
SR No.009629
Book TitleDhammam Sarnam Pavajjami Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhadraguptasuri
PublisherMahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publication Year2010
Total Pages339
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Discourse, & Religion
File Size2 MB
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