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________________ निर्माल्य उतारने की विधि स्वच्छ थाल प्रभुजी के आगे रखकर खूब कोमलता पूर्वक धैर्य के साथ जीव-जंतु की जयणा पूर्वक फूल आदि उतारना चाहिए। बासी फूलवाली थाली को योग्य स्थान पर रखकर खोखामुकुट-कुंडल आदि एक के बाद एक उतारना चाहिए। खोखा-मुकुट-कुंडल आदि जमीन पर न रखकरशुद्ध पीतल की थाल में सम्मान पूर्वक रखना चाहिए। सुकोमल मोरपंख से प्रभुजी के अन्य अंगों में रहे हुए निर्माल्य को धैर्य पूर्वक उतारना चाहिए। बासी चंदन-केशर आदि को दूर करने के लिए तथा सोनाचांदी के बरख-बादला आदि को दूर करने के लिए कटोरे में स्वच्छ पानी लेना चाहिए। स्वच्छ पानी से गीला कर हल्के हाथों से केसर-चंदन-बरकबादला आदि उतारकर कटोरे में संग्रह करना चाहिए। कटोरे में स्वच्छ पानी लेकर स्वच्छ सूती वस्त्र के टुकड़े को भिगोकर उससे बाकी रहे चंदन आदि को दूर करना चाहिए। स्वच्छ पानी के कलश के अभिषेक कर निर्माल्य आदि को दूर करने का प्रयत्न करना चाहिए। फिर भी प्रभु के अंग-उपांग में यदि केशर आदि रह जाएँ तो खूब कोमलता से वाला-कूची का उपयोग करना चाहिए। (40)
SR No.009609
Book TitleSachitra Jina Pooja Vidhi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamyadarshanvijay, Pareshkumar J Shah
PublisherMokshpath Prakashan Ahmedabad
Publication Year
Total Pages123
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, Ritual, & Vidhi
File Size2 MB
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