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________________ सर्व दुःखों से मुक्ति ७० सर्व दुःखों से मुक्ति प्रश्नकर्ता : नहीं आयेंगे। दादाश्री : नहीं? तो तुम एक घाटे में दो नुकसान झेलते हो। एक घाटा तो निर्माण हुआ थी और आप दूसरा भी खाते हो। किसी को एक ही लडका होवो मर जाये तो वो लडका तो गया, वो एक घाटा तो हुआ और पीछे रोता है, सर फोड़ता है, कितना दु:खी होता है मगर लडका फिर वापस आता है? घर के सभी आदमी रोने लगे तो भी वापस नहीं आता? ऐसे सभी लोग दो नुकसान झेलते है। पाँच लाख का मकान हो, वो 'मेरा मकान, मेरा मकान' बोलता है मगर मकान जल जाये तो कितना दु:ख होता है? मकान जल गया वो एक नुकसान है, फिर रोता है वो दूसरा नुकसान है। पाँच लाख का मकान हो और बनाने के बाद जल गया तो दु:ख होता है। कितना दु:ख होता है? पाँच लाख के हिसाब में दुःख होता है। वह मकान बेच दिया, दस दिन जाने के बाद वह मकान जल गया तो? उसके पाँच लाख रूपये ले लिये, फिर मकान जल गया तो क्या होगा? प्रश्नकर्ता : तब कुछ नहीं, अभी अपना क्या? दादाश्री : वो पाँच लाख रूपये अपने घर लाये, वो सब रूपये चोरी हो गये, फिर दूसरे दिन मकान जल जाये तो? तो भी असर नहीं होती न? पाँच लाख रुपये उसके हाथ में नहीं रहे, मकान बेच दिया था, फिर मकान जल गया मगर उसको कुछ असर नहीं होती, क्यों? वो ममता दुःख देती है। तुमको ममता है? ये घडी तुम्हारी है, उसकी ममता तुमको है? ऐसी कितनी सारी चीजों में तुम्हारी ममता है? ऐसी सब चीजों लिख लिया, list बना दे तो कितने कागज होंगे? प्रश्नकर्ता : बोल नहीं सकते कि कितने कागज हो जायेंगे? दादाश्री : और जब मरने की तैयारी होती है, तब ये सब इधर ही छोडकर जाने का। तो दुःख कौन देता है? सब जगह पर ममता किया वही दुःख देती है। मगर तुम पहले से जानते नहीं कि ये सब छोड़ के जाने का है? अपने Father भी छोडकर चले गये थे, वो आप जानते नहीं है? प्रश्नकर्ता : फिर भी आँख से दिखता है, वो मिथ्या कैसे माने? दादाश्री: जब experience हो जाता है, तब मिथ्या मालूम हो जाता है। अभी एक लडके ने शादी किया तो उसकी wife आयी, वो मिथ्या नहीं लगती है। वो सत्य ही लगता है। और छह महिने के बाद diverce दिया फिर? तो मिथ्या हो गया। मगर experience नहीं हुआ, वहाँ तक मिथ्या नहीं लगता। आँख से दिखता है, बुद्धि से समझ में आता है, वो सब मिथ्या है। आँख से जो दिखता है वो सब भ्रांति है. सच्ची बात नहीं है। जैसा एक आदमी ने दारू पीया, खूब दारू पीया, फिर बोलता है, वो दारू के नशे में बोलता है। ऐसे ये सब लोग भी नशे में ही बात करता है। मोह के नशे में है। मोह का दारू बहुत भारी है, ये सब लोग सारा दिन मोह के दारू में ही घूमते है। ये wife को 'मेरी है, मेरी है' करता है, मगर जब उसके साथ एक घंटा झगडा हो जाये फिर? फिर क्या होता है? divorce. और बाप-बेटे का एक घंटा झगडा हो गया तो? तो दोनों Court में चले जायेंगे। ऐसा ये सब मिथ्या है। मिथ्या सत्य कैसे हो जायेगा? कभी नहीं होगा। All these relatives are only temporary adjustment, not permanent adjustment ! this permanent adjustment तुमने देखा? नहीं? सब temporary? क्योंकि ये देह भी temporary है, तो वो temporary में से permanent कहाँ से हो जायेगा? और आप खुद आत्मा है, वो permanent है। उसका realise हो जाये तो फिर permanent का अनुभव होता है। फिर ये मोह चला जाता है, निरंतर permanent सुख, निरंतर परमानंद ही रहता है।
SR No.009601
Book TitleSarva Dukho Se Mukti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Foundation
Publication Year2003
Total Pages47
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Akram Vigyan
File Size94 KB
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