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________________ प्रतिक्रमण ८३ प्रतिक्रमण है? तब कहे, इन परिवारवालों को याद कर-करके करते है। आत्मा दृष्टा है, वह देखा ही करे। और कोई दखल है ही नहीं, इसलिए बहुत शुद्ध उपयोग रहेगा। प्रतिक्रमण तो एक बार करवाया था, मेरी उपस्थिति में खुद मैंने ही करवाया था, बहुत साल पहले की बात करता हूँ और वह विषय-विकार संबंधी प्रतिक्रमण करवाया था। तब वह करते करते सब इतनी गहराई में उतरे, बाद में घर जाने पर भी बंद नहीं होता था। उन सभी को तो सोते समय भी चलता रहता था और खाते समय भी चलता रहता था। फिर मुझे स्वयं बंद करवाना पड़ा। फँसे थे सभी, नहीं?! प्रतिक्रमण अपने आप निरंतर, रात-दिन चलता ही रहे। अब प्रतिक्रमण करने के बाद, 'बंद करो, अब दो घंटे हो गये' ऐसा कहने में आया, फिर भी अपने आप प्रतिक्रमण चलता रहे। बंद करने को कहे तो भी बंद नहीं हुआ। मशीनरी सब चालू हो गई, इसलिए भीतर चलता ही रहे। यह अक्रम विज्ञान का तात्पर्य ही सारा 'शूट ऑन साइट' (दोष देखते ही खतम करो) प्रतिक्रमण का है। उसके बेसमेन्ट (नीव) पर खड़ा रहा है। भूल किसी की होती ही नहीं है। सामनेवाले को हमारे निमित्त से यदि कोई नुकसान हो, तो द्रव्यकर्म-भावकर्म-नोकर्म से मुक्त ऐसी उसकी शुद्धात्मा को याद करके प्रतिक्रमण करें। प्रश्नकर्ता : लेकिन हर बार पूरा लम्बा बोलना होगा? दादाश्री : नहीं, ऐसा कुछ नहीं। शॉर्ट (संक्षिप्त) में निबटा लेना। सामनेवाले की शुद्धात्मा को हाजिर करके उसे फोन लगाना कि 'यह भूल हुई, क्षमा करें।' और दूसरा, घर के लोगों के भी रोजाना प्रतिक्रमण करने चाहिए। आपके माता-पिता, भाई-बहनें सभी का रोजाना प्रतिक्रमण करना पड़े। सारे कुटुंबियों का, क्योंकि उसके साथ बहुत चिकना फाइल होगा। इसलिए प्रतिक्रमण करोगे न, यदि एक घंटा कुटुंबियों के लिए प्रतिक्रमण करोगे न, अपने परिवारवालों को याद करके, नजदीक से लेकर दूर-दूर के सभी, भाईओं, उनकी औरतें, चाचा, चाचाओं के लड़के और वे सारे लोग, जो एक फेमिली (परिवार) होंवे न, तो दो-तीन-चार पीढ़ियों तक के, उन सभी को याद करके, प्रत्येक के लिए एक घंटा प्रतिक्रमण होगा न, तो भयंकर पाप भस्मीभूत हो जायेंगें। और हमारी ओर से उन लोगों के मन साफ हो जायेंगें। इसलिए हमारे नजदीकी, सभी को याद कर-करके प्रतिक्रमण करें। और रात नींद नहीं आती हो उस घड़ी यह प्रबंध किया कि चल पड़ा। ऐसा प्रबंध नहीं करते? ऐसी यह व्यवस्था, वह फिल्म शुरू हुई तो उस घड़ी बड़ा आनंद आयेगा। वह आनंद समाया नहीं जायेगा! क्योंकि जब प्रतिक्रमण करतें हैं न, तब आत्मा का पूर्णरूप से शुद्ध उपयोग रहता है, इसलिए बीच में किसी का दखल नहीं होता। प्रतिक्रमण कौन करता है? चन्दुभाई करते है, किसके लिए करते 'चन्दुभाई' से 'आपको' इतना कहना पड़े कि प्रतिक्रमण किया करें। आपके घर के सभी लोगों के साथ, आपको पहले कुछ न कुछ दुःख हुआ हो, उसके प्रतिक्रमण आपको करने हैं। संख्यात कि असंख्यात जन्मों में जो राग-द्वेष, विषय-विकार, कषाय से दोष किये हो उनकी क्षमा माँगता हूँ। ऐसे रोजाना घर के प्रत्येक व्यक्ति का एक-एक को ले लेकर करना। फिर इर्द-गिर्द के, पास पड़ोस के सभी का उपयोग रखकर यह करते रहना चाहिए। आपके करने पर यह बोझ हलका हो जायेगा। वैसे के वैसे हलका नहीं होता। हमने सारे संसार के साथ ऐसे निवारण किया था। पहले ऐसा निवारण किया, तब तो यह छुटकारा हुआ। जब तक हमारा दोष आपके मन में है, तब तक हमें चैन नहीं लेने देगा! इसलिए हम जब ऐसे प्रतिक्रमण करें तब वहाँ पर मिट जाये। प्रतिक्रमण तो आप लगातार किया करें, आपके सर्कल में पचाससौ जितने भी लोग हो, जिस-जिस के साथ आपने रगड़-रगड़ किया हो उन सभी के, फुरसत मिलने पर घंटा-घंटा भर बैठकर, एक-एक को
SR No.009599
Book TitlePratikraman
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherMahavideh Foundation
Publication Year2007
Total Pages57
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Akram Vigyan
File Size39 KB
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