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________________ प्रतिक्रमण ६९ दादाश्री : इसलिए आपकी जिम्मेदारी नहीं रहती। जो बोलना हुआ उसका प्रतिक्रमण करें इसलिए जिम्मेदारी नहीं रहेती। कड़ा बोलें मगर रागद्वेष रहित हो कर बोलें। कड़ा बोलने पर तुरन्त प्रतिक्रमण कर लें। मन-वचन-काया का योग, भावकर्म-द्रव्यकर्म-नोकर्म, चन्दुलाल और चन्दुलाल के नाम की सर्व माया से भिन्न ऐसे 'शुद्धात्मा' को याद करके कहना, 'हे शुद्धात्मा भगवन्, मेरे से ऊँची आवाज में बोला गया वह भूल हुई। अतः उसकी माफ़ी माँगता हूँ। और वह भूल अब फिर से नहीं करूंगा ऐसा निश्चय करता हूँ। ऐसी भूल नहीं करने की शक्ति दीजिए।' शुद्धात्मा को याद किया अथवा 'दादा' को याद किया और कहा कि, 'यह भूल हो गई' अर्थात् वह आलोचना, उस भूल को धो डालना वह प्रतिक्रमण और ऐसी भूल दोबारा नहीं करूँगा ऐसा निश्चय करना वह प्रत्याख्यान है। प्रश्नकर्ता : प्रतिक्रमण के पश्चात् हमारी वाणी बहुत अच्छी हो जायेगी, इसी जन्म में ही? दादाश्री : उसके पश्चात् तो कुछ और ही तरह की होगी। हमारी वाणी सर्वश्रेष्ठ कक्षा की निकलती है उसका कारण ही प्रतिक्रमण है और निर्विवादी है उसका कारण भी प्रतिक्रमण ही है। वरना विवाद ही होगा। सर्वत्र विवादास्पद वाणी ही होगी। व्यवहारशुद्धि के बगैर स्याद्वाद वाणी निकलेगी ही नहीं। व्यवहारशुद्धि पहले होनी चाहिए। २१. प्रकृति दोष छूटें ऐसे..... इस सत्संग का पोझन (जहर) पीना अच्छा है मगर बाहर का अमृत पीना बुरा है। क्योकिं यह पोझन प्रतिक्रमण युक्त है। हम जहर के सारे प्याले पीकर महादेवजी हुए हैं। प्रश्नकर्ता : आपके पास आने को बहुत सोचतें है मगर आ नहीं दादाश्री : आपके हाथ में कौन-सी सत्ता है? आने को सोचें, किंतु पाते। प्रतिक्रमण आ नहीं पाते उसका मन में खेद रहना चाहिए। हम उसे कहें कि चन्दुभाई, प्रतिक्रमण कीजिए, जल्दी हल निकलेगा। नहीं जा पाते इसलिए प्रतिक्रमण कीजिए, प्रत्याख्यान कीजिये, ऐसी भूल-चूक हुई, इसलिए अब दोबारा भूल-चूक नहीं करूँगा। ७० और अभी जो भाव आते हैं वे क्यों ज्यादा आते हैं? और कार्य क्यों नहीं होता? भाव आने की वजह यह है कि कमिंग ईवेन्टस कास्ट देर शेडोझ बीफोर (जो होनेवाला है उसका प्रतिघोष पहले पड़ेगा ) । ये सभी बातें होनेवाली है। प्रश्नकर्ता : यह चिंता हो जाये उसका प्रतिक्रमण कैसे करना ? दादाश्री : 'यह मेरे अहंकार के कारण चिंता होती है। मैं उसका कर्ता थोड़े ही हूँ? अतः दादा भगवान! क्षमा कीजिये।' ऐसा कुछ न कुछ करना तो पड़ेगा न? उस बिना कैसे टिके? प्रश्नकर्ता: हम 'बहुत ठंड पड़ती है, बहुत ठंड पड़ती है' कहें तो वह कुदरत के खिलाफ बोले तो उसका प्रतिक्रमण करने का ? दादाश्री : नहीं, प्रतिक्रमण तो जहाँ राग-द्वेष होता हो, 'फाइल' हो वहाँ करें। कढ़ी खारी हो उसका प्रतिक्रमण मत करें। लेकिन जिसने खारी बनाई उसका प्रतिक्रमण करें। प्रतिक्रमण से सामनेवाले की परिणति परिवर्तित होती है। पेशाब करने गया वहाँ एक चींटी बह गई तो हम प्रतिक्रमण करेंगे। उपयोग नहीं चूकते। बह गई वह 'डिस्चार्ज' रूप से है पर उस समय अतिक्रमण दोष क्यों हुआ? जागृति मंद क्यों हुई? उसका दोष लगेगा। पढ़ते समय पुस्तक को नमस्कार करके कहना कि, 'दादाजी, मुझे पढ़ने की शक्ति दीजिए।' और यदि कभी भूल गये तो उपाय करना। दोबार नमस्कार करना और कहना कि 'दादा भगवान, मेरी इच्छा नहीं थी, फिर भी भूल गया, इसलिए उसकी माफ़ी चाहता हूँ। अब फिर से ऐसा नहीं होगा।'
SR No.009599
Book TitlePratikraman
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherMahavideh Foundation
Publication Year2007
Total Pages57
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Akram Vigyan
File Size39 KB
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