SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 9
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ पति पत्नी का दिव्य व्यवहार प्रश्नकर्ता : क्लेश बिना तो दुनिया नहीं चलती। दादाश्री : तब तो वहाँ पर भगवान रहेंगे ही नहीं। जहाँ क्लेश है वहाँ भगवान नहीं रहते। प्रश्नकर्ता : वह तो है पर कभी-कभी तो ऐसा क्लेश होना चाहिए न? पति पत्नी का दिव्य व्यवहार दादाश्री : ओहो... ऐसे घरवालों के साथ. बाहरवालों के साथ. वाइफ (पत्नी) के साथ टकराएँ तो उसे क्लेश कहते हैं। मनमुटाव हो और फिर थोड़ी देर अलग रहें उसका नाम क्लेश। दो-तीन घण्टे लड़ें और फिर साथ में हो जाएँ तो हर्ज नहीं। पर टकराकर दूर रहें वह क्लेश कहलाता है। बारह घण्टे दूर रहें तो सारी रात क्लेश में कटती है। प्रश्नकर्ता : आपने जो क्लेश की बात कही वह पुरुष में ज्यादा है कि स्त्री में ज्यादा है? दादाश्री : नहीं, क्लेश होना ही नहीं चाहिए। मनुष्य को यहाँ क्लेश किस लिए हो? और क्लेश होने से अच्छा लगेगा? क्लेश हो तो तुम्हें कितने महीने अच्छा लगेगा? दादाश्री : वह तो स्त्री में ज्यादा होता है, क्लेश। प्रश्नकर्ता : उसकी वजह क्या? दादाश्री : ऐसा है न, कभी झगड़ा हो जाता है, तब क्लेश हो जाता है। क्लेश होना अर्थात् झट से सुलग कर बुझ जाना। पुरुष और स्त्री में क्लेश हो गया तब पुरुष है वह छोड़ देगा, पर स्त्रियाँ उसे जल्दी नहीं छोड़ती और क्लेश में से कज़िया (झगड़ा) खड़ा हो जाता है। फिर वे मुँह फुलाकर घूमती रहती हैं, मानों हमने उसे तीन दिन से भूखी रखी हो! प्रश्नकर्ता : यह क़ज़िया दूर करने के लिए क्या करें? प्रश्नकर्ता : बिलकुल नहीं। दादाश्री : एक महीना भी अच्छा नहीं लगेगा, नहीं? मजेदार खाना, सोने के गहने पहनना और ऊपर से क्लेश करना। यह तो जीवन जीना ही नहीं आता। जीवन जीने की कला नहीं आती, उसका ही यह क्लेश है। हम तो कौन-सी कला के माहिर हैं कि डॉलर किस तरह कमायें! बस उसके ही विचार में रहते हैं। पर जीवन कैसे जीएँ उसका विचार नहीं करते। उसके बारे में नहीं सोचना चाहिए? प्रश्नकर्ता : सोचना चाहिए, लेकिन हर एक का तरीका अलग अलग होता है। दादाश्री : नहीं, सबका तरीका अलग-अलग नहीं होता, एक ही तरह का। डॉलर, डॉलर, डॉलर। और फिर हाथ में आने पर हजार डॉलर वहाँ स्टोर में खर्च कर डालता है। चीजें घर में लाकर रखता है। फिर जब पुराना हो जाए तो दूसरा ले आता है। सारा दिन तोड़-जोड, तोड़जोड़, दुःख, दुःख और दुःख, परेशानी-परेशानी और परेशानी। अरे, यह जीवन है क्या? ऐसा जीवन कैसे जियें? ऐसा मनुष्य को शोभा देता है? क्लेश-झगड़े नहीं होने चाहिए। प्रश्नकर्ता : लेकिन क्लेश किसे कहते हैं? दादाश्री : हम क्लेश नहीं करेंगे तब कज़िया नहीं होगा। वास्तव में हम ही क्लेश करके सुलगाते हैं। आज खाना अच्छा नहीं बनाया, आज तो मेरा मुँह बिगड़ गया, ऐसा करके क्लेश खड़ा करें तो फिर वह तकरार करती है। प्रश्नकर्ता : मुख्य वस्तु यह कि घर में शांति रहनी चाहिए। दादाश्री : मगर शांति कैसे रहे? लड़की का नाम शांति रखें फिर भी शांति न रहे। उसके लिए तो धर्म समझना चाहिए। घर के सभी सदस्यों से कहना चाहिए कि, 'हम सभी घर के सदस्यों में कोई किसी का बैरी नहीं, किसी का किसी से झगड़ा नहीं। हमें मतभेद करने की कोई जरूरत
SR No.009598
Book TitlePati Patni Ka Divya Vyvahaar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherMahavideh Foundation
Publication Year2009
Total Pages65
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Akram Vigyan
File Size43 KB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy