SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 46
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ७७ ७८ पति-पत्नी का दिव्य व्यवहार दादाश्री : हाँ, पहले के पति 'राम' थे और अभी के 'मरा' हैं। प्रश्नकर्ता : यह कहती है जमरा (यमराज)। प्रश्नकर्ता : पति के प्रति पत्नी का कर्तव्य क्या है, यह समझाइए। दादाश्री : स्त्री को हमेशा पति के प्रति सिन्सियर (वफादार) रहना चाहिए। पति को पत्नी से कहना चाहिए कि 'तुम सिन्सियर नहीं रहोगी तो मेरा दिमाग बिगड़ जाएगा।' उसे चेतावनी देनी चाहिए। 'बीवेर' (सावधान) करना, लेकिन आग्रह नहीं कर सकते कि सिन्सियर रहो। किन्तु उसे 'बीवेर' रहने को कह सकते हैं। सारी जिन्दगी सिन्सियर रहना चाहिए। रात-दिन सिन्सियर, उनकी ही चिंता होनी चाहिए। तुम्हें उनकी चिंता रखनी चाहिए तभी संसार ठीक से चलेगा। पति-पत्नी का दिव्य व्यवहार प्रश्नकर्ता : पति को परमेश्वर कहना चाहिए? उनके प्रतिदिन दर्शन करने चाहिए? उनका चरणामृत पीना चाहिए? दादाश्री : उसे परमेश्वर कहें, मगर वो मरनेवाले न हों तब तो परमेश्वर । मर जानेवाले हैं, वे काहे के परमेश्वर ! पति परमेश्वर काहे का? इस समय के पति परमेश्वर होते होगें? प्रश्नकर्ता : मैं तो प्रतिदिन पति के चरण स्पर्श करती हूँ। दादाश्री : ऐसा करके पति को बनाती होगी। पति यानी पति और परमेश्वर यानी परमेश्वर । वह पति भी कहाँ कहता है कि 'मैं परमेश्वर हूँ? 'मैं तो पति हूँ' ऐसा ही कहता है न? प्रश्नकर्ता : हाँ, 'पति हूँ' ऐसा ही कहते हैं। दादाश्री : हं..., ऐसे तो गाय का भी पति (मालिक) होता है. सबके पति (मालिक) होते हैं। आत्मा अकेला ही परमेश्वर है, शुद्धात्मा! प्रश्नकर्ता : चरणामृत पी सकते है? दादाश्री : आज के दुर्गन्धवाले लोगों का चरणामृत कैसे पी सकते हैं! यह मनुष्य गंध मारते हैं, ऐसे बैठे हों तब भी गंध मारते हैं। वह तो पहले सुगंधवाले लोग थे तब की बात अलग थी। आज तो सभी मनुष्य गंध मारते हैं। हमारा सिर फटने लगे। जैसे-तैसे करके दिखावा करना है कि हम पति-पत्नी हैं। प्रश्नकर्ता : अब सब औरतें पढ़ी-लिखी हैं न, इसलिए सभी ने वह परमेश्वर पद हटा दिया है। दादाश्री : पति परमेश्वर बन बैठे हैं, देखो न ! उनके हाथ में किताब लिखने की सत्ता। इसलिए कौन पूछनेवाला था! एक तरफ कर डाला न? ऐसा नहीं होना चाहिए। प्रश्नकर्ता : आजकल की औरतें अपने पति को पहले की औरतों के जैसा सम्मान नहीं देती। प्रश्नकर्ता : पतिदेव सिन्सियर नहीं रहे, तब फिर पत्नी का दिमाग खराब हो जाए तो पाप नहीं लगता न? दादाश्री : आपका दिमाग खराब हो तो वह स्वाद चखता है न! पति भी स्वाद चखता है न बाद में! ऐसा नहीं करना चाहिए। एज फार एज पोसिबल (जहाँ तक हो सके)। पति की इच्छा नहीं हो और भूलचूक हो जाती हो तब पति को उसकी क्षमा माँग लेनी चाहिए, कि 'मैं क्षमा चाहता हूँ, फिर से ऐसा नहीं होगा।' सिन्सियर तो रहना चाहिए न मनुष्य को? सिन्सियर नहीं रहे तो कैसे चलेगा? प्रश्नकर्ता : माफी माँग ले पति, बात-बात में माफी माँग ले पर फिर वैसा ही करते हों तब? दादाश्री : पति माफी मांगे तो आप समझें न कि बेचारा कितनी लाचारी का अनुभव करता है! इसलिए लेट गो करना। उसे उसकी 'हेबिट' (आदत) नहीं पड़ी है। 'हेबिच्यटेड' (आदी) नहीं हुआ है। उसको भी पसंद नहीं होता मगर क्या करे? बरबस ऐसा हो जाता है। भूलचूक तभी होती है न!
SR No.009598
Book TitlePati Patni Ka Divya Vyvahaar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherMahavideh Foundation
Publication Year2009
Total Pages65
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Akram Vigyan
File Size43 KB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy