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________________ पति-पत्नी का दिव्य व्यवहार प्रश्नकर्ता : कैसा डिजाईन करना चाहिए, दादा? हाथ में आने के बाद क्या? पति-पत्नी का दिव्य व्यवहार प्रश्नकर्ता : सहनशीलता की मर्यादा कितनी रखें? दादाश्री : वह तो एक हद तक सहन करना। फिर सोचकर पता लगाओ कि इसमें वास्तविकता क्या है। सोचने पर पता चलेगा कि इसके पीछे क्या है! केवल सहते ही रहोगे तो स्प्रिंग उछलेगी। सोचने की ज़रूरत है। विचारहीनता के कारण सहना पड़ता है। सोचोगे तब पता चलेगा कि इसमें भूल कहाँ हो रही है! उससे इसका सब समाधान निकल आएगा। भीतर अनंत शक्ति है, अनंत शक्ति ! तुम माँगो वह शक्ति मिले ऐसी है। यह तो भीतर शक्ति खोजते नहीं और बाहर शक्ति खोजते हैं। बाहर कौनसी शक्ति है? घर-घर सहन करने से ही विस्फोट होते हैं। मैं कितना सहन करूँ, मन में ऐसा ही समझते हैं। लेकिन उसका सोचकर रास्ता निकालना चाहिए। जो संजोग मिले हैं, वे देख। संजोग कुदरत का निर्माण हैं और तू अब किस प्रकार उसमें से छूट पायेगा? नये बैर बँधे नहीं और पुराने बैर छोड़ देने हों तो उसका रास्ता निकालना चाहिए। यह जन्म बैर छोड़ने के लिए है, और बैर छोड़ने का रास्ता है, 'प्रत्येक के साथ समभाव से निकाल!' फिर देखो तुम्हारे बच्चे कितने संस्कारी होंगे! प्रश्नकर्ता : मेरी सहेली का प्रश्न है कि, उसके पति उस पर गुस्सा करते हैं, इसका क्या कारण होगा? दादाश्री : वह तो अच्छा है। लोग गुस्सा करें, इसके बजाय पति करे वह अच्छा। घर के आदमी हैं न! ऐसा है, लोहार भारी लोहा हो और उसे मोड़ना हो तब उसे गरम करते हैं। क्यों करते हैं? ऐसे ठण्डा नहीं मुड़ेगा, इसलिए गरम करके फिर मोड़ता है। तब फिर दो हथौड़ियाँ मारें, उतने में मुड़ जाता है। प्रत्येक वस्तु गरम होने पर मुड़ती है हमेशा। जितना गरम उतना कमज़ोर होता है और कमजोर इसलिए एक-दो हथौड़ी मारते ही हमें जैसा डिजाईन चाहिए वैसा बना सकते हैं। इसी प्रकार पत्नी भी ऐसी कमजोरीवाले (गुस्सैल) पति को अपनी डिज़ाईन के मुताबिक बना सकती है। दादाश्री : हम जैसा बनाना चाहें वैसा डिज़ाईन बने। पति को तोते जैसा बना दे। 'आया राम' पत्नी बोलेगी तब वह भी कहेगा, 'आया राम'। 'गया राम' बोले तो वह भी कहेगा, 'गया राम।' वैसा तोते जैसा बन जाएगा। पर लोगों को हथौड़ी मारना भी नहीं आता न ! वे सभी कमजोरियाँ हैं। गुस्सा करना कमजोरी है। आप आते हों और मकान पर से सिर पर एक पत्थर गिरे, और खून निकला, तो उस वक्त क्या बहुत गुस्सा करोगे? प्रश्नकर्ता : नहीं, वह तो 'हो गया' है। दादाश्री : नहीं, मगर वहाँ पर गस्सा क्यों नहीं करते? कोई मारनेवाला दिखता नहीं, इसलिए गुस्सा कैसे आए? प्रश्नकर्ता : किसी ने जान-बूझकर मारा नहीं। दादाश्री : अर्थात् हमारे पास क्रोध का कंट्रोल (नियंत्रण) है। अत: यदि हम समझें कि जान-बूझकर कोई मारता नहीं, तो वहाँ कंट्रोल (नियंत्रण) कर सकते हैं। कंट्रोल तो है ही। और फिर कहते हैं, 'मुझे गुस्सा आ जाता है।' अरे, वहाँ क्यों नहीं आता, पुलिसवाले के साथ? जब पुलिसवाला धमकाता है, उस वक्त क्यों गस्सा नहीं आता? उसे बह पर गुस्सा आता है, बच्चों पर गुस्सा आता है, पडोसी पर गस्सा आता है, 'अन्डर हेण्ड' (हाथ के नीचेवाले) पर गुस्सा आता है पर 'बॉस' (मालिक) पर क्यों नहीं आता? गुस्सा मनुष्य को आ नहीं सकता। यह तो उसे अपनी मनमानी करनी है। प्रश्नकर्ता : घर में या बाहर फ्रेन्ड्स में, सब जगह, प्रत्येक के मत अलग-अलग होते हैं और वहाँ हमारी मनमानी नहीं हो तो फिर हमें गुस्सा आता है, तब क्या करें?
SR No.009598
Book TitlePati Patni Ka Divya Vyvahaar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherMahavideh Foundation
Publication Year2009
Total Pages65
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Akram Vigyan
File Size43 KB
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