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________________ पति-पत्नी का दिव्य व्यवहार प्रश्नकर्ता : ऐसा थोड़े ही करेंगे? ऐसा कभी होता होगा? दादाश्री : तब क्या करती हो? मेरे आशीर्वाद हैं. कहकर सो जाना! बहन, तू सो जाएगी या मन में गालियाँ देती रहेगी? मन में ही गालियाँ देती रहती है। और फिर पत्नी तीन हजार की साड़ी देखे तो घर आकर मुँह फूल जाता है। ऐसा देखकर हम पूछे, 'मुँह क्यों ऐसा हो गया?' वह साड़ी में खो गई होती है। जब साड़ी लाकर दें तब छोड़ती है, वर्ना तब तक क्लेश करना नहीं छोड़ती। ऐसा नहीं होना चाहिए। पत्नी कहेगी कि, 'यह हमारे सोफे की डिजाईन ठीक नहीं है। आपके मित्र के वहाँ गए थे, उसकी डिजाईन कितनी सुन्दर थी!' अरे, इस सोफे में तुझे सुख नहीं मिलता? तब कहें कि, 'नहीं, मैंने वहाँ जो देखा वह अच्छा लगा है।' बाद में पति को उसके जैसा सोफा लाना पड़ता है! नया सोफा आये और किसी दिन लड़का ब्लेड से कहीं काट दे तो भीतर मानो आत्मा कट जाए! बच्चे ऐसे सोफा काट देते हैं या नहीं? और उस पर कूदते हैं या नहीं? और कूदते हैं तब मानो उसकी छाती पर कूद रहा हो ऐसा लगता है। यह उसका मोह है। वह मोह ही काट-काटकर तुम्हारा कचूमर कर देगा। ७२ पति-पत्नी का दिव्य व्यवहार दादाश्री : त्रागा तो स्त्रियाँ नहीं, पुरुष भी करते हैं। (अज्ञान दशा में) मैंने भी किये थे। अब तो लोग ज्यादा त्रागे नहीं करते। त्रागा माने क्या? खुद को कुछ चाहिए तो सामनेवाले को धमकाकर ले लेना, अपनी मनमानी करना ! प्रश्नकर्ता : सब जगह औरतों का ही दोष क्यों देखा जाता है और पुरुषों का क्यों नहीं देखा जाता? दादाश्री : स्त्रियों का तो ऐसा है न, पुरुषों के हाथ में कानून था, इसलिए स्त्रियों को नुकसान हुआ है। यह तो पुस्तकें पुरुषों ने लिखी। इसलिए पुरुषों को आगे किया है, स्त्रियों को उड़ा दिया है। उन लोगों ने उसमें उसकी वेल्यु (मूल्य) उड़ा दी है। परिणाम स्वरूप मार भी उतनी ही खाई है। नर्क में भी वे ही जाते हैं। यहाँ से नर्क में जाते हैं। स्त्रियों को ऐसा नहीं होता। भले ही स्त्री की प्रकृति अलग हो, उसकी प्रकृति के अनुसार उसे फल मिलता है और पुरुष को उसकी प्रकृति के अनुसार फल मिलता है। स्त्री की अजागृत प्रकृति है। अजागृत अर्थात् सहज प्रकृति। प्रश्नकर्ता : कब तक हमें ऐसे सहन करना चाहिए? दादाश्री : सहन करने से तो शक्ति और बढ़ती है। प्रश्नकर्ता : तो ऐसा सहन ही करते रहें? दादाश्री : सहन करने के बजाय उस पर सोचना अच्छा है। विचार से उसका सोल्युशन (हल) निकालो। बाक़ी सहन करना गुनाह है। बहुत सहने से फिर स्प्रिंग की तरह उछलकर सारा घर तहस-नहस कर डालती है। सहनशीलता तो स्प्रिंग है। स्प्रिंग पर लोड (बोझा) मत रखना कभी भी। वह तो थोड़े समय के लिए ठीक है। रास्ते में आते-जाते किसी के साथ कुछ हुआ हो तब, वहाँ यह स्प्रिंग इस्तेमाल करनी है। यहाँ घर के लोगों पर 'लोड' (वजन) नहीं रख सकते। घर के लोगों का सहन करोगे तब क्या होगा? स्प्रिंग उछलेगी वह तो। इस मोह में तो जन्म बिगड़ जाते हैं और दूसरा, बहनों से कहता हूँ कि (जरूरत से ज्यादा) शोपिंग मत करना। शोपिंग बंद कर दो। यह तो डॉलर आए कि.... अरे, जरूरत नहीं है तो क्यों लेते हो, यजलेस (बिना वजह)? किसी भी सही रास्ते पर पैसा जाना चाहिए कि नहीं जाना चाहिए? किसी फ़ैमिलि को पैसों की मुश्किल हो. उन बेचारों के पास नहीं हो और पचास-सौ डॉलर दें तो कितना अच्छा लगे! और शोपिंग में फ़िजूल खर्ची करते हो और घर में सब भरा पड़ा रहता है। प्रश्नकर्ता : फिर स्त्रियाँ त्रागा (अपनी मनमानी/बात मनवाने के लिए किए जानेवाला नाटक) करती हैं!
SR No.009598
Book TitlePati Patni Ka Divya Vyvahaar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherMahavideh Foundation
Publication Year2009
Total Pages65
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Akram Vigyan
File Size43 KB
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