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________________ २२ पति-पत्नी का दिव्य व्यवहार कमअक्ल खींचे बगैर रहेगा ही नहीं! इसलिए हमें, अक्लमंद को छोड़ देना है और वह भी एकदम नहीं छोड़ना। एकदम छोड़ने से सामनेवाला गिर पड़ेगा। इसलिए धीरे-धीरे, धीरे-धीरे से छोड़ना। इसलिए मेरे साथ कोई खींचने लगे तब मैं धीरे-धीरे छोड़ देता हूँ। वर्ना गिर पड़ेगा बेचारा। अब तुम छोड़ दोगे ऐसे? अब छोड़ना आएगा? छोड़ दोगे न? वर्ना रस्सा गाँठ मारकर चलाना पड़ेगा। रोज़ रोज़ गाँठ लगाना यह क्या अच्छा लगता है? और फिर रस्सा तो चलाना ही पड़ेगा न? तुम्हें क्या लगता है? घर में मतभेद होता होगा? ज़रा-सा भी नहीं होना चाहिए! घर में अगर मतभेद होता है तो यू आर अनफिट (आप अयोग्य हो)। अगर हसबैन्ड (पति) ऐसा करे तो वह अनफिट फोर हसबैन्ड (पति होने के लिए लायक नहीं है) और वाइफ (पत्नी) ऐसा करे तो अनफिट फोर वाइफ (पत्नी होने के लिए लायक नहीं है)। प्रश्नकर्ता : पति-पत्नी के झगड़ों का संतानों पर क्या असर होता पति-पत्नी का दिव्य व्यवहार 'क्या दिक्कत है तुमको? मुझे बताओ कि तुम्हें औरत पसंद ही नहीं हैं? वास्तविकता क्या है मुझे बताओ।' तब वे कहते हैं, 'नहीं, हमें शादी नहीं करनी।' मैंने पूछा, 'क्यों?' तब बोले, 'शादी में सुख नहीं है, यह हमने देख लिया है।' मैंने कहा, 'अभी तुम्हारी उम्र नहीं हुई है और ब्याहे बगैर तुम्हें कैसे मालूम हुआ, कैसे अनुभव हआ?' तब कहते हैं, 'हमारे मातापिता का सुख(!) हम देखते आए हैं।' हम इन लोगों का सख जान गए! इन लोगों को ही सुख नहीं है, तो हम शादी करेंगे तो ज्यादा दुःखी होंगे। यानी ऐसा भी होता है। ऐसा है न, अभी मैं कहूँ कि भाई, इस समय बाहर अंधेरा हो गया है। इस पर यह भाई कहे, 'नहीं, उजाला है।' तब मैं कहूँ, 'भाई, मैं आपको विनती करता हूँ, आप फिर से देखिये न।' तब कहे, 'नहीं, उजाला है।' तब मैं समझें कि इन्हें जैसा दिखता हैं वैसा कहते हैं। मनुष्य की खद की दृष्टि से आगे दृष्टि नहीं जा सकती। इसलिए फिर मैं उसे कह दूँ कि आपके व्यु पोईन्ट (दृष्टिकोण) से आप ठीक कहते हैं। अब मेरे लिए कोई दूसरा काम हो तो बताओ। इतना ही कहूँ, 'यस, यु आर करेक्ट बाय योर व्यु पोईन्ट !' (हाँ, आप अपने दृष्टिकोण से सही हो।) कहकर मैं आगे बढ़ जाऊँ। इनके साथ कहाँ सारी रात बैठा रहूँ? वे तो वैसे के वैसे ही रहनेवाले हैं। इस तरह मतभेद का हल निकाल लेना। मानो कि यहाँ से पाँच सौ फूट दूर हमने एक सुंदर सफेद घोड़ा खड़ा किया है और यहाँ पर प्रत्येक को दिखाकर पूछे कि वहाँ क्या दिख रहा है? कोई गाय कहे, तब हमें उसका क्या करना? हमारे घोड़े को कोई गाय कहे उस घड़ी हम उसे मारें या क्या करें? प्रश्नकर्ता : मारना नहीं। दादाश्री : क्यों? प्रश्नकर्ता : उसकी नजर में गाय दिखाई दी। दादाश्री : हाँ, उसका चश्मा ऐसा है। हमें समझ लेना है कि इस दादाश्री : अहोहो! बहुत बुरा असर होता है। इतना सा बालक हो वह भी ऐसे देखता रहता है। पापा मेरी मम्मी के साथ बहुत झगड़ा करते हैं। पापा ही खराब हैं। पर वह बोलता नहीं। वह समझता है कि बोलूंगा तो मारेंगे मुझे। मन में यह सब 'नोट' करता है, पर घर में ऐसा तूफान देखता है तो फिर मन में गाँठ बाँध लेता है कि 'बड़ा होने पर पापा को पीयूँगा।' हमारे लिए अभी से तय कर लेता है। फिर बडा होने पर पिटाई करता है। ऐसे पीटने के लिए मैंने तुम्हें बड़ा किया?''तब आपको किसने बड़ा किया था?' कहेगा जवाब में! 'अरे, मेरे बाप तक पहुँचा?' तब कहेगा, 'आपके दादा तक पहुँचूँगा।' हमने ऐसा बोलने का अवसर दिया इसलिए न? ऐसी गाँठ बाँधने दें तब हमारी ही भूल है न! घर में झगड़ना किसलिए? इसलिए झगड़ना ही मत ताकि बच्चे भी देखें तो कहें कि पापा कितने अच्छे हैं! लड़के शादी के लिए 'ना, ना' क्यों कहते हैं? मैंने उनसे पूछा कि
SR No.009598
Book TitlePati Patni Ka Divya Vyvahaar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherMahavideh Foundation
Publication Year2009
Total Pages65
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Akram Vigyan
File Size43 KB
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