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________________ ८२ माता-पिता और बच्चों का व्यवहार दादाश्री : लड़कियाँ तैयार नहीं होती। हो सके तो शादी जल्दी हो जाए तो अच्छा। पढ़ाई खतम हो जाए और इधर शादी हो जाए, ऐसा हो सके तो बेहतर। दोनों साथ में हो जाए। यदि शादी के पश्चात एकाध साल में पढाई पूरी होती हो तो भी हर्ज नहीं। लेकिन शादी में बंध जाए, तो 'लाइफ' (जिंदगी) अच्छी गुज़रे, वर्ना बाद में लाइफ बहुत दुःखमय होती है। फ्रेन्ड पर मोह यानी सखी की बात करती हो या सखा की? प्रश्नकर्ता : नहीं, दोनों की। दादाश्री : (लड़की को) सखा भी! मूंछवाला (पुरुष) भी! प्रश्नकर्ता : हाँ, दोनों। दादाश्री : ठीक है। तब उसके साथ हमें समभाव से रहना है। उस घड़ी तेरी जागृति रहनी चाहिए। उस घड़ी होश खो देना नहीं चाहिए। जिसे ब्रह्मचर्य का पालन करना है, जो मोक्ष चाहते हैं, उन स्त्रियों को पुरुषों का परिचय कम से कम करना, अनिवार्य होने पर ही। जिन्हें मोक्ष में जाना है, उन्हें इतना जतन करना चाहिए। ऐसा तुझे लगता है कि नहीं लगता? तुझे क्या लगता है? प्रश्नकर्ता : हाँ, करना चाहिए। दादाश्री : मोक्ष में नहीं जाना है या अभी चले ऐसा है? प्रश्नकर्ता : नहीं, मोक्ष में जाना है। दादाश्री : तो फिर इन दोस्तों से क्या मैत्री करना? यह निरा जूठन ! (उस लड़की से) स्त्रियों के साथ घूमो-फिरो, खाओ पीओ, चैन से मज़ा करो, पुरुषो के संग नहीं।। प्रश्नकर्ता : दादाजी, एक बहन पूछती है कि हमें लड़कों के साथ 'फ्रेन्डली रिलेशन' (मैत्री संबंध) हों, फिर भी माता-पिता शंका क्यों करते हैं? माता-पिता और बच्चों का व्यवहार दादाश्री : नहीं, लड़कों के साथ फ्रेन्डली रिलेशन रख ही नहीं सकते। लड़कों के साथ फ्रेन्डली रिलेशन गुनाह है। प्रश्नकर्ता : उसमें क्या गुनाह है? दादाश्री : पेट्रोल और आग, दोनों साथ नहीं रख सकते न? वे दोनों (लड़का और लड़की) मौका ढूँढते रहते हैं। यह सोचे कि कब मेरी पकड़ में आये और सामनेवाला सोचे कि यह कब मेरी पकड में आये?! दोनों शिकार की ताक में रहते हैं, दोनों ही शिकारी कहलाए! प्रश्नकर्ता : आपने कहा न कि लड़के और लड़कियों की दोस्ती नहीं करनी चाहिए। दादाश्री : बिलकुल नहीं करनी चाहिए। प्रश्नकर्ता : बिलकुल नहीं करनी चाहिए, ऐसा कहा इससे उन लोगों को संतोष नहीं हुआ। दादाश्री : वह फ्रेन्डशिप आखिर में पोईज़न (जहर) समान होगी, आखिर पोईज़न ही होगी। लड़की को मरने का समय आयेगा, लड़के का कुछ नहीं जाता। इसलिए लड़के के साथ तो खड़ा भी नहीं रहना चाहिए। लड़कों से कोई फ्रेन्डशिप करना नहीं। वर्ना वह तो पोईज़न है। लाख रुपये दे फिर भी फ्रेन्डशिप मत करना। फिर अंत में जहर खाकर मरना पड़ता है। कितनी ही लड़कियाँ जहर खाकर मर जाती हैं। इसलिए उम्र होने पर हमें घर में माता-पिता से कह देना है कि, किसी अच्छे आदमी के साथ मेरा संबंध कर डालो, फिर से टूटे नहीं ऐसा जोड़ दो। मेरी शादी के लिए अब लड़का ढूँढो। दादा भगवान ने मुझसे कहा है कि 'तुम कहना।' ऐसे कह देना, शर्म में मत रहना। तब उन्हें पता चलेगा कि बच्चों की खुशी है, चलो अब शादी करवा दें। बाद में दो साल बाद शादी कर लेना, आमने सामने पसंद करके रिश्ता जोड़ देना। शादी हो जाने पर दूसरा कोई हमारी ओर देखेगा नहीं। कहेगा, उसका तो तय हो गया!
SR No.009593
Book TitleMata Pita Aur Bachho Ka Vyvahaar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherMahavideh Foundation
Publication Year2009
Total Pages61
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Akram Vigyan
File Size38 KB
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