SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 34
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ माता-पिता और बच्चों का व्यवहार ५० प्रश्नकर्ता : यहाँ से साथ में ले जा सकते है क्या? दादाश्री : अब क्या लेकर जाएँगे? साथ में जो था वह सब यहाँ खर्च करके पूरा किया। अब कुछ मोक्ष संबंधी मेरे पास से यहाँ आकर पाएँ तो दिन बदले। अब भी जीवन बाकी है. अब भी जीवन बदल सकते हैं, जब जागे तब सवेरा। वहाँ (अगले जनम में) ले जाने में क्या काम आता है? यहाँ जो तुमने खर्च किया, वह सब गटर में गया, तुम्हारे मौज-मज़ा के लिए, तुम्हारे रहने के लिए जो कुछ भी करते हो वह सब गटर में गया। केवल दूसरों के लिए जो कुछ किया उतना ही तुम्हारा ओवरड्राफ्ट (जमा) है। एक आदमी ने मुझे प्रश्न किया कि बच्चों को कुछ नहीं दें? मैंने कहा, 'बच्चों को देना, मगर आपके पिता ने आपको जितना दिया हो, उतना देना। बीच में जो कमाया, वह हम जहाँ चाहें, किसी अच्छे कार्य में खर्च कर दें।' प्रश्नकर्ता : हमारे वकीलों के कानून में भी ऐसा है कि बाप-दादा की प्रोपर्टी (सम्पत्ति) हो, उसे बच्चों को देनी ही चाहिए और स्व-उपार्जित धन का बाप जो करना चाहे कर सकता है। दादाश्री : हाँ, जो करना चाहे करे। अपने हाथों से ही कर लेना चाहिये। अपना मार्ग क्या कहता है कि तेरा अपना माल हो, वह अलग कर के खर्च कर, तो वह तेरे साथ आयेगा। क्योंकि यह 'ज्ञान' प्राप्त करने के बाद अभी एक-दो जन्म बाकी रहे हैं, इसलिए साथ में जरूरत पड़ेगी न? दूसरे गाँव जाते हैं तब साथ में थोड़ी रोटियाँ ले जाते हैं। तब यहाँ भी साथ में कुछ होना चाहिए न? इसलिए लड़के को तो केवल क्या देना चाहिए, एक 'फ्लैट' (मकान) देना, हम रहते हों वह । वह भी हो तो देना। उसे कह देना कि, 'बेटे, हम न हों उस दिन यह सब तेरा, तब तक मालिकी हमारी ! पागलपन करेगा तो तुझे तेरी बहू के साथ निकाल बाहर करूँगा। हम हैं तब तक तेरा कुछ भी नहीं। हमारे जाने के बाद सब कुछ तेरा।' विल कर डालना। माता-पिता और बच्चों का व्यवहार आपके बाप ने दिया हो उतना आपको उसे देना है। वह उतना हक़दार है। आखिर तक लड़के के मन में ऐसा रहे कि 'अभी पिताजी के पास पचास हजार और हैं।' हमारे पास तो लाख हों। वह मन में समझे कि ४०-५० हजार देंगे। उसे इस लालच में आखिर तक रखना। वह अपनी बहू से कहे कि, 'जा, पिताजी को फर्स्ट क्लास भोजन करा, चाय-नाश्ता ला।' हमें रौब से रहना है। अर्थात् हमारे पिताजी ने जो कुछ कोठरी (मकान) दी हो वह उन्हें दे दो। कोई कछ साथ में ले जाने नहीं देता। हमारे जाने के बाद हमारे शरीर को जला देते हैं। तब फिर लड़कों के लिए अधिक छोड़ कर क्या करें? लड़कों के लिए ज्यादा छोड़ जाएँ तो लड़के क्या करेंगे? वे सोचेंगे कि 'अब नौकरी-धंधा करने की ज़रूरत नहीं।' बच्चे शराबी बन जाएँगे। क्योंकि फिर उन्हें संगत ऐसी मिल जाती है। ये शराबी ही हुए हैं न सब! अत: लड़के को तो हमें सोच-समझकर मर्यादा में देना चाहिए। अगर ज्यादा दें तो दुरूपयोग होगा। हमेशा जॉब (काम) ही करता रहे ऐसा कर देना चाहिए। बेकार बैठे तो शराब पिये न? कोई बिजनेस (धंधा) उसे पसंद हो तो करवा देना। कौन-सा व्यवसाय पसंद है वह पूछकर, उसे जो व्यवसाय ठीक लगे वह करवा देना। पच्चीस-तीस हज़ार बैंक से लोन पर दिलवाना, ताकि अपने आप भरता रहे और थोड़े बहुत अपने पास से दे देना। उसे ज़रूरत हो उसमें से आधी रकम हमें देनी है और आधी रकम बैंक में से लोन दिलवा देना। इस लोन की किश्तें तू भरना, ऐसा कह देना। किश्तें भरता रहे और वह लड़का समझदार होता है फिर। अत: लड़के को नियम से, नियम से जितना देना चाहिए उतना देकर, बाकी सारा लोगों के सुख के लिए अच्छे रास्ते खर्च कर देना। लोगों को सुख कैसे मिले? उनके हृदय को ठंडक पहुँचे तब! तो वह सम्पत्ति तुम्हारे साथ आयेगी। ऐसे नक़दी नहीं आती पर ओवरडाफट (जमाराशि) के रूप में आती है। नक़दी तो ले जाने ही नहीं देते न ! यहाँ पर इस तरह ओवरड्राफट करो, लोगों को खिला दो, सबके दिलों को
SR No.009593
Book TitleMata Pita Aur Bachho Ka Vyvahaar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherMahavideh Foundation
Publication Year2009
Total Pages61
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Akram Vigyan
File Size38 KB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy