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________________ माता-पिता और बच्चों का व्यवहार २९ दादाश्री : टी.वी. और तुम्हारा क्या संबंध? यह चश्मा आ गया है फिर भी टी.वी. देखते हो? हमारा देश ऐसा है कि टी.वी. देखना न पड़े, नाटक देखना न पड़े, वो सब यहीं का यहीं रास्तों पर होता रहता है न! प्रश्नकर्ता: उस रास्ते पर पहुँचेंगे तब बन्द होगा न? दादाश्री : कृष्ण भगवान ने गीता में कहा है कि मनुष्य व्यर्थ समय बिगाड़ रहे हैं। कमाने के लिए नौकरी पर जाना अनर्थ नहीं कहलाता। जब तक वह दृष्टि नहीं मिलती तब तक यह दृष्टि नहीं छूटती । लोग भी जानवर की तरह बदन पर बदबूवाला कीचड़ कब मलते हैं? उन्हें जलन हो तब। ये टी.वी., सिनेमा, सब बदबूवाले कीचड़ जैसे हैं। उसमें से कुछ सारतत्व नहीं निकलता। हमें टी.वी. का कोई विरोध नहीं हैं। प्रत्येक चीज़ देखने की छूट होती है पर एक ओर पाँच बजकर दस मिनिट को टी.वी. का कार्यक्रम हो और दूसरी ओर पाँच बजकर दस मिनट पर सत्संग हो, तो क्या पसंद करोगे? ग्यारह बजे परीक्षा हो और ग्यारह बजे भोजन करना हो तो क्या करोगे? ऐसी समझ होनी चाहिए। प्रश्नकर्ता: रात देर तक टी.वी. देखा करते हैं, इसलिए फिर सोते ही नहीं न? दादाश्री : लेकिन टी.वी. तो तुम खरीद लाए तब देखते हैं न? तुमने ही इन सब बच्चों को बिगाड़ा है। इन माता-पिता ने ही बच्चों को बिगाड़ा है, ऊपर से टी.वी. लाये घर में! पहले ही क्या कम मुसीबत थी, जो एक और बढ़ाई ? नयी पेन्ट पहन कर बार-बार शीशा देखते हैं। अरे, आइना क्या देख रहा है? यह किसकी नक़ल करते हो, यह तो समझो! अध्यात्मवालों की नक़ल की या भौतिकवालों की नक़ल की? जो भौतिकवालों की नक़ल करनी हो तो वे आफ्रीकावाले हैं, उनकी नक़ल क्यों नहीं करते? लेकिन यह तो साहब जैसे लगते हैं, इसलिए नक़ल करनी शुरू की। पर तुझ में योग्यता तो नहीं है। काहे का साहब बनने फिरता है? पर साहब माता-पिता और बच्चों का व्यवहार ३० होने के लिए ऐसे शीशे में देखता है, बाल सँवारता है और समझता है कि अब ‘ऑलराइट' हो गया है। ऊपर से पतलून पहनकर पीछे ऐसे थपथपाता फिरता है। अरे, क्यों बिना वजह थपथपाता है? कोई देखनेवाला नहीं है, सब अपने-अपने काम में लगे हैं! सब अपनी-अपनी चिंता में पड़े हैं! तुझे देखने की फुरसत किसे है? सब अपनी-अपनी झंझट में पड़े हैं। लेकिन अपने आपको न जाने क्या समझ बैठे हैं ? पुरानी पीढ़ी वाले बच्चे के साथ अगर झिकझिक करते हों तो मैं उनसे पूछूं कि आप छोटे थे तब आपके बाप भी आपको कुछ कहते थे ? तब कहते हैं कि, वे भी झिकझिक करते थे। उनके बाप से पूछें कि आप छोटे थे तब ? तब कहेंगे हमारे बाप भी झिकझिक करते थे। इसलिए यह 'आगे से चली आई है।' लड़का पुरानी बातें स्वीकार करने को तैयार नहीं। इसलिए ये परेशानियाँ खड़ी हुई हैं। मैं मा-बाप को मॉडर्न (आधुनिक) होने को कहता हूँ तो वे होते नहीं। और कैसे हों ? मॉडर्न होना कोई आसान बात नहीं है। हमारा देश यूजलेस (निकम्मा) हो गया है! कुछ जातियों का बहुत तिरस्कार करते हैं। एक-दूसरे के साथ नहीं बैठते, भेदभाव रखते हैं। ऊपर हाथ रखकर प्रसाद देता है! लेकिन यह नई पीढ़ी हैल्दी माईन्डवाली है, बहुत अच्छी है! बच्चों के लिए अच्छी भावना करते रहो। सभी अच्छे संयोग आ मिलेंगे। नहीं तो इन बच्चों में कोई सुधार होनेवाला नहीं। बच्चे सुधरेंगे पर अपने आप कुदरत सुधारेगी। बच्चे अच्छे से अच्छे हैं। किसी काल में नहीं थे ऐसे बच्चे हैं आज ! इन बच्चों में ऐसे कौन से गुण होंगे कि मैं ऐसा कहता हूँ कि किसी काल में नहीं थे ऐसे गुण इन बच्चों में हैं! बेचारों में किसी प्रकार का
SR No.009593
Book TitleMata Pita Aur Bachho Ka Vyvahaar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherMahavideh Foundation
Publication Year2009
Total Pages61
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Akram Vigyan
File Size38 KB
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