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________________ माता-पिता और बच्चों का व्यवहार लड़के बिगड़ते जा रहे हैं, उनका क्या करें? मैंने कहा, 'तुम कब सुधरे थे कि लड़के बिगड़ गए ! तुम मांसाहार करते हो?' तब बोले, 'हाँ, कभी कभी।'' शराब पीने का?' तो बोले, 'हाँ, कभी कभी।'। इसलिए ये लड़के समझते हैं कि हमारे पिताजी कर रहे हैं इसलिए यह करने जैसी चीज है। हितकर हो वही हमारे पिताजी करते हैं न? यह सब तुम्हें शोभा नहीं देता। फिर उन लड़कों से मांसाहार छुड़वा दिया। उन लड़कों से कहा कि 'क्या यह आलू तू काट सकता है? क्या यह पपीता तू काट सकता है? क्या ये 'एप्पल' (सेब) काट सकता है? ये सब काट सकता है ?" 'हाँ, सब काट सकता हूँ।' मैंने कहा, 'कद्दू इतना बड़ा हो तो?' 'अरे ! उसे भी काट सकता हूँ।' "ककड़ी इतनी बड़ी हो तो उसे भी काट सकता हूँ।'' उस वक्त 'हार्ट' (हृदय) पर असर होगा?' तब बोला, 'नहीं।' फिर मैंने पूछा, 'बकरी काट सकता है?' तब बोला, 'नहीं।' 'मुर्गी काट सकता है?' तब बोला, 'नहीं, मुझसे नहीं कटेगी।' इसलिए जो तेरा हार्ट काटने को 'एक्सेप्ट' (स्वीकार) करे, उतनी ही चीजें तू खाना तेरा हार्ट एक्सेप्ट न करता हो, हार्ट को पसंद न हो, रुचे नहीं वे चीज़े मत खाना नहीं तो उनका परिणाम विपरीत होगा और वे परमाणु तुझे हार्ट पर असर करेंगे। परिणाम स्वरूप, लड़के सब अच्छी तरह समझ गए और छोड़ दिया। २७ (प्रसिद्ध लेखक) 'बर्नाड शॉ' से किसी ने पूछा, 'आप माँसाहार क्यों नहीं करते?' तब बोले, 'मेरा शरीर कब्रिस्तान नहीं है, यह मुर्गीमुर्गों का कब्रिस्तान नहीं है।' लेकिन उसका क्या फायदा? तब उन्होंने कहा, 'आई वॉन्ट टु बी ए सिविलाइज्ड मेन' (मैं सुसंस्कृत इन्सान होना चाहता हूँ)। फिर भी कहते हैं, क्षत्रियों को यह अधिकार है, लेकिन उसमें क्षत्रियता हो तो अधिकार है। प्रश्नकर्ता: इन छोटे बच्चों को मगदले (एक प्रकार की अधिक घी वाली मिठाई) खिलाया करते है, वह खिला सकते हैं? दादाश्री : नहीं खिला सकते, मगदल नहीं खिला सकते। छोटे बच्चों को मगदल, गोंदपाक, पकवान ज़्यादा मत खिलाना। उन्हें सादा भोजन देना माता-पिता और बच्चों का व्यवहार २८ और दूध भी कम देना चाहिए। बच्चों को यह सब नहीं देना चाहिए। हमारे लोग तो दूध से बनी चीजें बार-बार खिलाते रहते हैं। ऐसी चीजें मत खिलाना। आवेग बढ़ेगा और बारह साल का होते ही उसकी दृष्टि बिगड़ेगी। आवेग कम हो ऐसा भोजन बच्चों को देना चाहिए। यह सब तो विचार में ही नहीं। जीवन कैसे जीना, इसकी समझदारी ही नहीं है न! प्रश्नकर्ता: हमें कुछ कहना न हो, लेकिन मान लीजिए कि हमारा लड़का चोरी करता हो तो क्या चोरी करने दें? दादाश्री : दिखावे के लिए विरोध करो, पर अंदर समभाव रखो । बाहर देखने में विरोध और वह चोरी करे उस पर निर्दयता जरा भी नहीं होने देनी चाहिए। यदि अन्दर समभाव टूट जाएगा तो निर्दयता होगी और सारा जग निर्दय हो जाता है। उसे समझाओ कि 'जिसके वहाँ चोरी की, उसका प्रतिक्रमण ऐसे करना और प्रतिक्रमण कितने किए यह मुझे बताना । तब फिर ठीक हो जाए। बाद में तू चोरी नहीं करने की प्रतिज्ञा कर दुबारा चोरी नहीं करूँगा और जो हो गई उसकी क्षमा चाहता हूँ।' ऐसे बार-बार समझाने से यह ज्ञान फिट हो जाता है। इसलिए अगले जन्म में फिर चोरी नहीं होगी । यह तो सिर्फ इफेक्ट (परिणाम) है, दूसरा नया हम न सिखायें तो फिर नया खड़ा नहीं होगा। यह लड़का हमारे पास सब भूलें कबूल करता है। चोरी करे वह भी कबूल कर लेता है । आलोचना तो गज़ब का पुरुष हो वहीं हो सकती है। अगर ऐसा सब होगा तो हिन्दुस्तान का आश्चर्यजनक परिवर्तन हो जाएगा! ८. नयी जनरेशन, हेल्दी माईन्डवाली दादाश्री : रविवार के दिन नजदीक में सत्संग होता है, तो क्यों नहीं आते? प्रश्नकर्ता: रविवार के दिन टी.वी. देखने का होता है न, दादाजी !
SR No.009593
Book TitleMata Pita Aur Bachho Ka Vyvahaar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherMahavideh Foundation
Publication Year2009
Total Pages61
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Akram Vigyan
File Size38 KB
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