SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 15
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ माता-पिता और बच्चों का व्यवहार ११ माता-पिता तो वे कहलायें कि अगर लड़का बुरी लाईन पर चला गया हो, फिर भी एक दिन जब माता-पिता कहें, 'बेटा, यह हमें शोभा नहीं देता, यह तूने क्या किया?' तो दूसरे दिन सब बंद हो जाए। ऐसा प्रेम ही कहाँ है? यह तो बगैर प्रेम के माता-पिता ! यह जगत् प्रेम से ही वश होता है। इन माता-पिता को बच्चों पर कितना प्यार है? गुलाब पौधे पर माली को जितना होता है उतना ! इन्हें माता - पिता कैसे कह सकते हैं? प्रश्नकर्ता : बच्चों की पढ़ाई के लिए या संस्कार के लिए हमें कुछ विचार ही नहीं करना चाहिए? दादाश्री : विचार करने में हर्ज नहीं । प्रश्नकर्ता : पढ़ाई तो स्कूल में होती है लेकिन संस्कार - चारित्र कैसे दें? दादाश्री : गढ़ाई सुनार को सौंप दो। उनके गढ़नेवाले हों, वे गढ़ेंगे। लड़का पन्द्रह साल का हो तब तक उसे कह सकते हैं, तब तक हम जैसे हैं, वैसा उसे बना दें। बाद में उसकी पत्नी उसे गढ़ेगी। यह तो बच्चे को गढ़ना आता नहीं फिर भी लोग गढ़ रहे हैं! इससे गढ़ाई ठीक से नहीं होती। मूर्ति अच्छी नहीं बनती। नाक ढाई इंच के बजाय साढ़े चार इंच की कर डालें ! बाद में जब बेटे की पत्नी आयेगी, वह उसकी नाक को काटकर ठीक करने जाएगी, तब बेटा भी उसकी नाक काटने जायेगा। इस तरह दोनों आमने-सामने आ जाते हैं। प्रश्नकर्ता: 'सर्टिफाइड फादर - मदर की परिभाषा क्या है? दादाश्री : 'सर्टिफाइड' माता-पिता, अर्थात् खुद के बच्चे खुद के कहने के मुताबिक चलें, अपने बच्चे अपने पर श्रद्धा रखें, माता-पिता के परेशान न करें। ऐसे माता-पिता 'सर्टिफाइड' ही कहलाएँगे न? वर्ना बच्चे ऐसे होते ही नहीं, बच्चे आज्ञाकारी होते हैं। ये तो मातापिता का ही ठिकाना नहीं। ज़मीन ऐसी है, जैसा बीज है माल (फल) १२ माता-पिता और बच्चों का व्यवहार भी वैसा है! ऊपर से कहता है कि 'मेरे बच्चे महावीर होनेवाले हैं।' महावीर होते होंगे? महावीर की माँ तो कैसी हो !! बाप ऐसा-वैसा हो तो चलेगा, पर माँ तो कैसी हो? ! है। इसमें से कोई बात तुम्हें पसंद आई ? प्रश्नकर्ता : यह बात पसंद आती हैं, तब उसका असर हो ही जाता दादाश्री : बहुत से लोग लड़के से कहते हैं, 'तू मेरा कहा नहीं मानता।' मैंने कहा, 'तुम्हारी वाणी उसे पसंद नहीं है, अगर पसंद हो तो असर हो ही जाए।' और बाप कहता है, 'तू मेरा कहा नहीं मानता।' अरे !, तुझे बाप होना नहीं आया। इस कलियुग में लोगों की दशा तो देखो ! नहीं तो सतयुग में कैसे माता-पिता थे ! मैं यह सिखाना चाहता हूँ कि तुम ऐसा बोलो कि बच्चों को तुम्हारी बातों में इन्टरेस्ट (रुचि) आये, तब वे तुम्हारा कहा हुआ करेंगे ही। तुमने मुझसे कहा न कि मेरी बात तुम्हें पसंद आती है। तो तुम से इतना होगा ही । प्रश्नकर्ता: आपकी वाणी का असर ऐसा होता है कि जिस पजल (पहेली) का बुद्धि हल ना खोज सके, उसका हल यह वाणी ला सकती है। दादाश्री : हृदयस्पर्शी वाणी। वह मदरली (मातृत्ववाली ) कहलाती है । हृदयस्पर्शी वाणी यदि कोई बाप अपने बेटे से कहे, तो वह सर्टिफाइड़ फादर (सक्षम पिता) कहलाए ! प्रश्नकर्ता: इतनी आसानी से बच्चे नहीं मानते ! दादाश्री : तो क्या हिटलरीज़म ( जबरदस्ती) से मानते हैं? यदि हिटलरीज़म करें तो वह हेल्पफुल (सहायक) नहीं है। प्रश्नकर्ता: वे मानते हैं पर बहुत समझाने के बाद ।
SR No.009593
Book TitleMata Pita Aur Bachho Ka Vyvahaar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherMahavideh Foundation
Publication Year2009
Total Pages61
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Akram Vigyan
File Size38 KB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy