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________________ ज्ञानी पुरुष की पहचान ज्ञानी पुरुष की पहचान दादाश्री : आप खुद रविन्द्र हो कि दूसरा कुछ हो? प्रश्नकर्ता : वह मालूम नहीं है। दादाश्री : नींद की ऐसी ही बात है। ये सब नींद में बात करते निद्रावाला देखा है कि नहीं? क्रोध-मान-माया-लोभ खलास हो जाये, वो जागृत हो गया। अगर तो 'ज्ञानी पुरुष' ने जागति दे दी तो उसकी आँखे थोड़ी खुलती है। प्रश्नकर्ता : आज-कल के जमाने में किस तरह मालूम पडे कि इनको आत्मा का रियलाईझेशन हुआ है? दादाश्री : जरा उसको छेडो तो मालूम हो जायेगा कि कलदार रुपया है कि 'बोदा' है। कितने लोग बोलते है कि हमको मोक्ष की जरुरत नहीं है। मैं बोलता हूँ कि 'मोक्ष की तो हमको भी जरूरत नहीं है मगर आपको जागृति की जरूरत है कि नहीं?' तो वो कहता है कि, 'हाँ, हाँ, जागृति की तो जरूरत है।' खुद की पहचान हो गयी तो फिर जगत में कोई बड़ा-छोटा नहीं है। हमको तो कोई बडा-छोटा दिखता नहीं है। जेब काटनेवाला भी हमको निर्दोष ही दिखता है। क्योंकि हम निद्रा में से जागत हए है। जो निद्रा में से संपूर्ण जागृत हुआ हो, उसकी एक सेकन्ड भी भूल नहीं होती। जिसको स्वरूप की पहचान हो गयी, उनकी आँखे थोडी थोडी खूलती है। फिर सत्संग में बैठ बैठकर आँखे पूरी खुल जायेगी। मगर खुद को भरोसा हो गया कि कुछ दिखा है, विश्व दिखा है। ये निद्रा खुल्ली हो जाये, तो जगत क्या चीज है, वो मालूम हो जाता है। बाहर सब चलता है, वो निद्रा में ही चलता है। किसी को गाढ निद्रा है तो किसी को जरा कम है। कोई स्वप्न दशा में है, कोई मर्छा जैसी निद्रा में है। सबकी समान निद्रा नहीं होती। जो जागृत है, वो सब कुछ जान सकता है, सब कुछ देख सकता है। आदमी का कोई उपरी ही नहीं। हा, देवलोग उपरी है लेकिन देवलोग के हाथ में भी स्वसत्ता नहीं है। जो कोई जागृत हो जाये तो उसके हाथ में स्वसत्ता आ जाती है। सद्गुरू जागृत होना चाहिये। भगवान ने जागृत होने के लिए बोल दिया है, कि जागृत हो जाव। जो आदमी जागृत है, उसके पास बैठने से, उसकी कृपा से जागृत हो सकता है। दूसरा कोई इलाज नहीं है। जिसका क्रोध-मान-माया-लोभ खलास हो गया है, वो जागृत हो जाता है। क्रोध-मान-माया-लोभ जहाँ नहीं है, वहाँ जागृति है और जहाँ क्रोध-मान-माया-लोभ है, वहाँ निद्रा है। वो अपनी खुद की ही बुराई करता है, नुकसान करता है और दूसरों का भी नुकसान करता है। ऐसी प्रश्नकर्ता : मोक्ष और जागृति में क्या फर्क है? दादाश्री : जागृति वो ही मोक्ष है। संपूर्ण जागृति वो ही 'केवलज्ञान' Jagruti is the Mother of Moksha. मोक्ष याने संपूर्ण जागृति। दुनिया के सब लोग खुल्ली आँख से नींद में रहते है। खुद (स्वरूप) की जागृति ही नहीं है। जो धंधा करता है, उसमें ही जागृति है। दूसरा, अगले भव अपना क्या होगा, उसका कोई विचार भी नहीं है। मोक्षमार्ग में, गुरु या ज्ञानी? प्रश्नकर्ता : हम एक महात्मा के पास गये थे। दादाश्री : हाँ, मगर वो डाक्टर था कि तुम्हारे जैसा ही था? डाक्टर सर्टीफाईड होना चाहिये। ऐसा आलतु-फालतु नहीं होना चाहिये। आप दवाई लेते है तो कोई भी आदमी के पास दवाई क्युं नहीं लेते है? दवाई लेने को तो अच्छे डाक्टर के पास जाते है? उसकी डिग्री क्या है, वो देखते है। वो M.B.B.S. नहीं चलेगा, हमको तो M.D. चाहिये, ऐसा बोलते है। तो इसमें धर्म में भी ऐसा नहीं होना चाहिये? वो गुरु को पूछने का कि
SR No.009585
Book TitleGyani Purush Ki Pahechaan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Foundation
Publication Year2003
Total Pages43
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Akram Vigyan
File Size325 KB
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