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________________ ज्ञानी पुरुष की पहचान ज्ञानी पुरुष की पहचान नहीं मिलेगी। इससे एकाग्रता होती है, शक्ति बढ़ती है लेकिन ऐसा कितने जन्मों से करते हो? जब तक आत्मा नहीं जाना, वहाँ तक कुछ काम नहीं होगा। पूरा काम तो कभी नहीं होगा। आत्मा जानने के लिए 'ज्ञानी परुष' के पास जाना चाहिये। खुद से आत्मा नहीं समझ सकते। किसी आदमी को ऐसा समझ में नहीं आता। सब लोग जैसी आत्मा मानते है, ऐसी आत्मा है नहीं। आत्मा ओर चीज है, वो ही परमात्मा है। प्रश्नकर्ता : तो ये सब चीजें क्या होती है? जो मुझे अनुभव में आती है, वह क्या चीज है? दादाश्री : वो सब मिकेनीकल है। ऐसा चित्त चमत्कार बहुत लोगों को होता है। ऐसे बहुत लोग हमें मिलते है, उसको फिर हम बोलते है कि, 'भाई, ये चित्त चमत्कार से बहुत आगे जाने का है। अभी आपका चित्त चमत्कार का स्टेशन आया है, वो बात अच्छी है। इससे एकाग्रता रहेगी, थोडा पाप जल जाता है लेकिन इससे तो बहुत आगे जाने का है।' प्रश्नकर्ता : फिर आगे रस्ता तो मिलेगा न? दादाश्री : ऐसा कितने ही जन्मों से रास्ते पर चलते है मगर सच्ची बात नहीं मिली है। ये सब रास्ते का ही है. रास्ते के बाहर कछ नहीं है। लेकिन कभी किसी जन्म में कोई दफे कोई कुसंग मिल जाता है, तो फिर नीचे भी गिर जाता है। उसका कोई ठिकाना नहीं रहता है। ऐसा वो उपर भी उठता है, फिर कुसंग मिलता है तो फिर नीचे भी गिर जाता है। खुद का ज्ञान, खुद कौन है, किसने ये दुनिया बनायी. ये दुनिया कैसे चलती है, कौन चलाता है, ये सब ज्ञान प्राप्त हो गया, फिर रास्ता करेक्ट हो गया। फिर छूटकारा हो जाता है, मुक्ति हो जाती है। 'खुली आँख से' 'जागृत' कौन? जागृति तो पूरी होनी चाहिये न? अभी तक तो आपको संसार की ही जागृति है। संसार की जागृति हो तो वह विनाशी चीज की रमणता करता है। सब लोग को संसार की जागृति होती है, वो भी पूरी जागृति नहीं है। जिसको संसार की पूरी जागृति हो, उसको घर में किसी के साथ झगड़े नहीं होते है, मतभेद नहीं होते है लेकिन झगड़े, मतभेद तो होते है, तो ये सब लोग अभी तो नींद में ही है। खुल्ली आँख से नींद में ही व्यापार करते है, झगड़ा करते है, शादी भी करते है, उपदेश भी देते है और अनशन भी नींद में ही करते है। आप डाक्टर हुए तो वो जागृत अवस्था में हुए कि नींद में हुए? प्रश्नकर्ता : जागृत में। दादाश्री : अभी भी आप जागृत नहीं है। मेरे सामने बैठे है तो भी जागृत नहीं है। नींद दो प्रकार की है; एक आदमी को देह का भी भान चला जाता है। वो सब के लिए नींद है। दूसरी नींद खुल्ली आँख से रहती है। वो नींद किसी को नहीं गई है। जागृत किसे बोला जाता है कि जो दूसरे किसी को इतना भी नुकसान न करे और अपना खुद का इतना भी नुकसान न होने दे, उसको जागृत बोला जाता है। ये तो इधर बाल बढ़ाते है और उधर दाढ़ी सफा कराते है। कौन से व्यापार में फायदा है? इसको निकालने में फायदा है कि इसको बढ़ाने में फायदा है? वो आप जानते नहीं है। सब लोग जैसा करते है वैसा ही देख देखकर आप भी करते है। कोई जागृत आदमी देखा है आपने अभी तक? प्रश्नकर्ता : कोई जागृत होगा या नहीं, वो हम कैसे बोल सकते दादाश्री : सारी दुनिया नींद में है। जिसको सब कुछ बेलेन्स रहेता है वह जागृत है, नहीं तो अपना खुद का अहित ही करता है। हित में जाने का प्रयत्न करते है मगर जानते नहीं है कि मेरा हित किसमें है? ये दूसरी नींद है, उसको भावनिद्रा बोलते है। सारी दुनिया में कोई आदमी ऐसा नहीं है जिसकी आँख खुली हो। भावनिद्रा की आँख खुली तो फिर सब काम हो जायेगा। आपका नाम क्या है? प्रश्नकर्ता : रविन्द्र।
SR No.009585
Book TitleGyani Purush Ki Pahechaan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Foundation
Publication Year2003
Total Pages43
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Akram Vigyan
File Size325 KB
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