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________________ चमत्कार हो, उसमें लोग क्या करें? लोग एक्सेप्ट क्यों करें? आप जिसे चमत्कार कहते हो, वह अधिक बुद्धिशाली हो, वह क्यों एक्सेप्ट करे? इसलिए चमत्कार की जो डेफिनेशन आप समझो तो चमत्कार की 'डेफिनेशन' 'वर्ल्ड' में किसीने दी नहीं है। फिर भी मैं देने को तैयार हूँ। चमत्कार वह कहलाता है कि दूसरा कोई कर ही नहीं सके, वह चमत्कार है! चमत्कार नहीं हो सकती नकल चमत्कार की चमत्कार किसे कहें? प्रश्नकर्ता : अध्यात्मिक साधना करते हुए चमत्कारिक शक्तियाँ आती हैं, वह बात सच है या गलत? दादाश्री : नहीं। ऐसा है, यह चमत्कार की डेफिनेशन समझो। यह गिन्नी है न, वह गोल्ड गिन्नी है, तो उसकी डेफिनेशन चाहिए या नहीं चाहिए? या चलेगा? वैसा ही तांबे का सिक्का हो और उस पर गिलेट करके लाएँ तो डेफिनेशन नहीं माँगेगा? सिक्का वैसा ही है, गोल्ड जैसा दिखता है। गोल्ड ही है वैसा कहें तो चलेगा? अब यह डेफिनेशनवाला जो है, उसके सामने गिलेटवाला तौल में रखें तो वह कम पड़ता है। किसलिए कम पड़ता है? सोना वज़न में अधिक होता है। इसलिए हम कहते हैं कि यह दूसरा सिक्का डेफिनेशनवाला नहीं है। उसी तरह चमत्कार का भी डेफिनेशनपूर्वक होना चाहिए। पर चमत्कार किसे कहा जाए, वह डेफिनेशन इस दुनिया में बनी नहीं है। इसीलिए उसकी कोई डेफिनेशन नहीं है वैसा नहीं कह सकते। हरएक वस्तु की डेफिनेशन होती है या नहीं होती? आपको कैसा लगता है? प्रश्नकर्ता : ठीक है। दादाश्री : तो चमत्कार की डेफिनेशन आप कहो। डेफिनेशन आपको क्या लगती है? क्या डेफिनेशन होनी चाहिए? प्रश्नकर्ता : कुछ भी नया हो और बुद्धि से बाहर की बात हो, वह चमत्कार। दादाश्री : वह चमत्कार नहीं है, क्योंकि आपकी बुद्धि लिमिटेड प्रश्नकर्ता : हाँ। पर उसके ही अलग-अलग नाम दिए हैं कि यह सिद्धि कहलाती है, यह फलाना कहलाता है, उसे ही लोग चमत्कार कहते हैं न? दादाश्री: सिद्धि वह कहलाती है कि जो दूसरा, उसके पीछे आनेवाला कर सके। और चमत्कार वह कहलाता है कि किसीसे भी किया नहीं जा सके। प्रश्नकर्ता : आपने चमत्कार की जो डेफिनेशन कही, वैसी डेफिनेशन तो दुनिया में है ही नहीं! दादाश्री : वैसी होगी ही नहीं न! वैसी डेफिनेशन नहीं होने से तो लोग चमत्कार के गुलाम हो गए हैं। चमत्कार का सेठ बनना है, तब चमत्कार के गुलाम हो गए हैं! इसलिए दूसरा कोई कर ही नहीं सके, वह चमत्कार कहलाता है। क्योंकि सिद्धि उत्पन्न होती ही रहती है हमेशा और उस सिद्धि को भुनाएँ, तब कम सिद्धिवाला, उसे चमत्कार कहता है और अधिक सिद्धिवाला उस पर तरस खाता है कि यह सिद्धि का दुरुपयोग करने लगा है! आपको समझ में आती है मेरी बात? प्रश्नकर्ता : हाँ जी, हाँ जी। दादाश्री : सिद्धि को भुनाना मतलब क्या कि आप साधना करते
SR No.009581
Book TitleChamatkar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherMahavideh Foundation
Publication Year2010
Total Pages37
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Akram Vigyan
File Size228 KB
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