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________________ चमत्कार २५ कौन बैठने देगा यहाँ ? यहाँ तो क्वॉलिटी की ज़रूरत है। क्वॉन्टिटी की ज़रूरत नहीं है। तो भी यहाँ धीरे-धीरे पचास हज़ार लोग हो गए हैं। और क्वॉन्टिटी ढूंढने गए होते तो पाँच लाख इकट्ठे हो जाते ! फिर हम लोग क्या करें? कहाँ बैठाएँ सबको? यहाँ कोई बैठने का स्थल नहीं है। यह तो जिनके यहाँ जाते हैं, वही स्थल। किसीके घर पर जाते हैं न? क्योंकि अपने यहाँ तो क्या कहते हैं कि, 'जो सुख मैंने पाया वह सुख तू प्राप्त कर और संसार में से छुटकारा प्राप्त कर।' बस, अपने यहाँ दूसरा मार्ग नहीं है। इसलिए एकाध धर्म ऐसा होता है कि कुछ लोगों को कुसंग मार्ग से डराकर मोड़ लेता है और उन लोगों को सत्संग में धकेलता है, वे चमत्कार अच्छे हैं। जो लोग कुसंगियों को धर्म में लाने के लिए भगवान के नाम से डराते हैं, तो हम उसे एक्सेप्ट करते हैं कि उन्हें थोड़ा डराकर भी धर्म में लाते हैं, उसमें हर्ज नहीं है, वह अच्छा है। उनकी नीयत खराब नहीं है। कुसंग मतलब गालियाँ देता हो, ताश खेलता हो, चोरियाँ करता हो, बदमाशी करता हो, उसे डराकर सत्संग में डाले, उसमें हर्ज नहीं है। जैसे बच्चों को हम डराकर ठिकाने पर नहीं रखते? पर वह बालमंदिर का मार्ग निकाले तो वह बात अलग है। पर दूसरे जो चमत्कार से नमस्कार करवाना चाहते हैं, वे सब यूजलेस बातें हैं। शोभा नहीं देता वैसा मनुष्य को! बाक़ी, वीतराग साइन्स तो ऐसा कुछ करता नहीं है। देवताओं के चमत्कार सच्चे प्रश्नकर्ता: कितनों के पास भभूत आती है न? दादाश्री : उन भभूतवाले से मैं ऐसा कह दूँ कि, 'मुझे भभूत नहीं पर तू वह स्पेन का केसर निकाल । मुझे बहुत नहीं चाहिए, एक तौला ही निकाल न । बहुत हो गया।' ये तो सभी मूर्ख बनाते हैं। अब इसमें, इस संबंध में दूसरी एक बात है, ताकि हम सभी को गलत नहीं कहें। क्योंकि ऐसे देवी-देवता हैं कि वे भभूत डालते भी हैं। उनके वहाँ कहाँ से भभूत होगी? पर वे तो यहाँ से उठाकर यहाँ दूसरी २६ चमत्कार जगह पर डालते हैं, और उनके वैक्रियिक (देवताओं का अतिशय हल्के परमाणुओं से बना हुआ शरीर जो कोई भी रूप धारण कर सकता है) शरीर होते हैं। हम लोगों को उसका पता ही नहीं चलता। वैसे चमत्कार ये देवी-देवता भी करते हैं। इसलिए इसमें किसीने उन देव को साध्य किए हों, उससे ऐसा होता है। फिर भी वह चमत्कार नहीं है। वह किसीकी मदद ली है, बस ! चमत्कार तो खुद स्वयं स्वतंत्र प्रकार से करता हो, वह है। अब यह मैं कहता हूँ, उस तरह तो एक ही प्रतिशत करते होंगे, दूसरा सब 'एक्ज़ेजरेशन' (अतिशयोक्ति) है। निन्यानवे प्रतिशत तो सारे गलत एक्ज़ेजरेशन हैं, बिलकुल ! अपने हिन्दुस्तान में कुछ संत हैं, वे भभूति निकालते हैं। पर वह देवी-देवताओं का है, उसमें बनावट नहीं होती। पर उसमें चमत्कार जैसा नहीं है। वह नहीं है मेरा चमत्कार एक बार पालीताणा में भगवान के मंदिर में त्रिमंत्र ज़ोर से बुलवाए। त्रिमंत्र खुद मैंने बोला था और फिर चावल और वह सब गिरा । तब लोग कहते हैं, 'अरे... चमत्कार हो गया।' मैंने कहा, 'यह चमत्कार नहीं है। इसके पीछे करामातें हैं।' प्रश्नकर्ता: किसकी करामातें हैं? दादाश्री : देवी-देवता थोड़ा इसमें ध्यान रखते हैं। लोगों के मन धर्म से दूर जाते हैं न, तब देवी-देवता ऐसा करके भी उन्हें ऐसे मोड़ते हैं, श्रद्धा बैठा देते हैं। अब ऐसा एक ही बार होता है और जो सौ बार होता है, उसमें निन्यानवे बार तो एक्ज़ेजरेशन है इन लोगों के। पर उनका भी इरादा गलत नहीं है, इसलिए हम उन्हें गुनहगार नहीं मानते। उसमें क्या खराब इरादा है ? लोगों को इस ओर मोड़े तो अच्छा ही है न ! अब चावल गिरे, उस समय एक आदमी के ऊपर चावल नहीं गिरे। इसलिए वह मुझे कहता है कि, 'आज सुबह आपका कहा मैंने नहीं
SR No.009581
Book TitleChamatkar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherMahavideh Foundation
Publication Year2010
Total Pages37
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Akram Vigyan
File Size228 KB
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